7th Pay Commission: केंद्र सरकार में सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा, जिसे 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया था, अब इस बाबत कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने अहम आदेश जारी किया है। सरकार के आधिकारिक ज्ञापन में कहा गया था कि सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की संशोधित सीमा 01 जनवरी 2024 से लागू होगी। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने 30 मई को जारी सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया है कि वे इस आदेश में कही गई बातों को लेखा नियंत्रक/वेतन एवं लेखा कार्यालयों और उनके अधीन संलग्न या अधीनस्थ कार्यालयों के ध्यान में लाकर उनका पालन सुनिश्चित करें।
औपचारिक संशोधन, अलग से होगा अधिसूचित
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के मुताबिक, यह कार्यालय ज्ञापन आईडी नोट संख्या 1(8)/ईवी/2024 दिनांक 27.05.2024 के माध्यम से वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग के परामर्श से जारी किया गया है। सभी मंत्रालयों/विभागों से यह अनुरोध किया गया है कि वे इस आदेश को लेखा नियंत्रक/वेतन और लेखा कार्यालयों और उनके अधीन संलग्न या अधीनस्थ कार्यालयों की मदद से लागू करें। योग्य लोगों को समय पर इसका लाभ मिले। जहां तक भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत व्यक्तियों का संबंध है, उनके लिए यह आदेश भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के परामर्श से जारी किए जाने का नियम है। सीसीएस (पेंशन) नियम 2021 और सीसीएस (एनपीएस के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 में औपचारिक संशोधन को अलग से अधिसूचित किया जाएगा।
20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये
सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की दर 50 फीसदी तक पहुंचने पर ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा में वृद्धि का प्रावधान है। इस वृद्धि के बाद पेंशन/ग्रेच्युटी/पारिवारिक पेंशन/विकलांगता पेंशन व अनुग्रह एकमुश्त के समायोजन को विनियमित करने वाले प्रावधान लागू किए जाते हैं। सातवें सीपीसी की सिफारिशों के कार्यान्वयन में सरकार के निर्णयों के अनुसार, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 या केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान), इसके लिए सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा में एक जनवरी 2024 से 25 फीसदी इजाफा किया गया है। यानी इस सीमा को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है।
2018 में पारित हुआ ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक
ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2018 29 मार्च, 2018 को लागू हुआ था। ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2018 को लोकसभा द्वारा 15 मार्च, 2018 को तथा राज्य सभा द्वारा 22 मार्च, 2018 को पारित किया गया। इसे 29 मार्च 2018 से लागू कर दिया गया था। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जिनमें 10 या उससे अधिक व्यक्ति काम करते हैं। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे सेवानिवृत्ति का कारण कोई भी हो। इसमें शारीरिक विकलांगता या शरीर के महत्वपूर्ण अंग की क्षति होना, यह भी शामिल है। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 उद्योगों, कारखानों और प्रतिष्ठानों में मजदूरी कमाने वाली आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कानून है।
पहले अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये थी
अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी राशि की वर्तमान ऊपरी सीमा 10 लाख रुपये रखी गई थी। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के तहत ग्रेच्युटी के संबंध में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए प्रावधान भी समान हैं। 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के कार्यान्वयन से पहले, सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये थी। हालांकि, 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के कार्यान्वयन के साथ, सरकारी कर्मचारियों के मामले में, अधिकतम सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई थी। निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के मामले में भी महंगाई और वेतन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने निर्णय लिया कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के मामले में भी ग्रेच्युटी की पात्रता को संशोधित किया जाना चाहिए। तदनुसार, सरकार ने ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की, ताकि ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को उस राशि तक बढ़ाया जा सके, जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर अधिसूचित कर सकती है। साल 2018 में सरकार ने अधिसूचना जारी कर ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को 20 लाख रुपये तक निर्दिष्ट किया है।
सामंजस्य सुनिश्चित होने की बात कही गई
इसके अलावा, विधेयक में मातृत्व अवकाश पर रहने वाली महिला कर्मचारियों के मामले में ग्रेच्युटी के उद्देश्य से निरंतर सेवा की गणना से संबंधित प्रावधानों को संशोधित करने की भी परिकल्पना की गई है, जिसे ‘बारह सप्ताह’ से बढ़ाकर ‘ऐसी अवधि जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर अधिसूचित कर सकती है’ किया गया है। उस वक्त इस अवधि को भी छब्बीस सप्ताह के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया और राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसके बाद ही सरकार द्वारा इसे अधिसूचित किया गया। इससे निजी क्षेत्र तथा सरकार के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/स्वायत्त संगठनों में कार्यरत उन कर्मचारियों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित होने की बात कही गई थी, जो सीसीएस (पेंशन) नियमों के अंतर्गत नहीं आते हैं। ये कर्मचारी सरकारी क्षेत्र में कार्यरत अपने समकक्षों के बराबर ही उच्च ग्रेच्युटी राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे। इन्हीं नियमों के तहत अब एक जनवरी से सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को 25 प्रतिशत बढ़ाकर उसे 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये कर दिया गया है।
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