बिहार में जन सुराज पार्टी की स्थापना के बाद अपना नया राजनीतिक सफर शुरू करने वाले और हाल में बीपीएससी पेपर लीक के कथित विवाद में अनशन करने वाले प्रशांत किशोर की एक हैरान करने वाली सच्चाई सामने आयी है। बता दें कि बीपीएससी पेपर लीक को लेकर अनशन करने वाले प्रशांत किशोर को 6 जनवरी को पटना पुलिस ने गांधी मैदान से गिरफ्तार किया था। फिर पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया था। गिरफ्तारी के बाद जमानत को लेकर दिनभर प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों का ड्रामा चलता रहा। प्रशांत किशोर कोर्ट की शर्तों के साथ जमानत को स्वीकार नहीं कर रहे थे। बाद में जब कोर्ट ने अपनी शर्तें वापस ले लीं तब प्रशांत किशोर जमानत लेने को राजी हो गये।
पर इस मामले को लेकर एक अलग ही सच्चाई सामने आ रही है। असल मामला कुछ और ही था। कोर्ट के रिकॉर्ड ने प्रशांत किशोर की पोल खोलकर रख दी है। 6 जनवरी को पटना के एसडीजेएम कोर्ट में जो कुछ हुआ, उसका सच सामने आ गया है।
कोर्ट का जो रिकॉर्ड सामने आया है, उससे प्रतीत होता है कि प्रशांत किशोर और उनके समर्थक दिनभर जमानत न लेने और जेल जाने का झूठा ड्रामा करते रहे। कोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिससे प्रशांत किशोर जेल जाते। कोर्ट ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा जिसे प्रशांत किशोर और उनके समर्थक मीडिया में मुद्दा बनाकर पेश कर रहे थे।
कोर्ट रिकॉर्ड्स में प्रशांत किशोर को पेश करने से लेकर रिहा करने तक की कार्यवाही दर्ज है। प्रशांत किशोर को अरेस्ट मेमो, मेडिकल रिपोर्ट और केस डायरी के साथ पेश किया गया था। प्रशांत किशोर की कोर्ट में पेशी के दौरान वकील शिवानंद गिरि और वरिष्ठ अधिवक्ता वाई.वी. गिरि जमानत याचिका लेकर कोर्ट में पेश हुए। दोनों वकीलों ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल प्रशांत किशोर को गलत मामले में गिरफ्तार किया गया है। प्रशांत किशोर ने कोई हिंसा नहीं की है। वह गांधी मैदान में शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। वकीलों की जिरह सुनने और पुलिस की ओर से पेश केस डायरी देखने के बाद कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। पटना के एसडीजेएम ने अपने आदेश में लिखा है- “आरोपी (प्रशांत किशोर) को पुलिस हिरासत से कोर्ट में पेश किया गया है। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 191(2), 191(3), 190 और 223 के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रशांत किशोर पर दर्ज ये सभी धाराएं जमानती हैं। इसका मतलब हुआ कोर्ट रिकॉर्ड के अनुसार, प्रशांत किशोर को बिना किसी शर्त के रिहा करने का आदेश दिया गया था।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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