यात्रा निकालने के मतलब ‘चेहरा चमकाना’, ‘टाइमपास’, या ‘पर्यटन’ नहीं होता है। गौर करें तो देश में इस समय दो यात्राएं चल रही हैं। एक यात्रा ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के नाम से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की चल रही है जो मणिपुर से शुरू होकर महाराष्ट्र तक करीब 3500 किमी की यात्रा तय करेगी। दूसरी यात्रा बिहार में सत्ता गंवाने के बाद अपनी राजनीतिक किस्मत चमकाने के लिए पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ‘जन विश्वास यात्रा’ निकाली है।
राहुल गांधी ने एक साल पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकाली थी जिसको लेकर कांग्रेस को यह लगता है कि इस यात्रा के कारण ही उसे कर्नाटक की सत्ता मिली है। जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां ही ऐसी थीं कि अगर कांग्रेस कुछ भी नहीं करती तब भी कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन होना तय था। जो भी हो, उसी ‘भारत यात्रा’ को जीत का फॉर्मूला मानते हुए कांग्रेस ने राहुल गांधी की एक और यात्रा निकाली है। कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी की इस यात्रा से उसे आगामी लोकसभा चुनाव में जरूर फायदा होगा। खैर, यह तो समय बतायेगा कि राहुल गांधी की यात्रा उन्हें कितना फायदा पहुंचाने वाली साबित होगी। वहीं दूसरी ओर बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी ‘जनविश्वास यात्रा’ निकाली है, उसके माध्यम से वह जनता को यह बतलाना चाहते हैं कि 17 महीनों की गठबंधन सरकार में राजद ने जनता के लिए कितना काम किया है। हालांकि तेजस्वी यादव की यह पहली यात्रा नहीं है। राजनीति में आने के बाद वह अब तक तीन यात्राएं निकाल चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि राजनीतिक यात्राएं पहली बार निकाली जा रही हैं। या राजनीतिक यात्राओं का फायदा नहीं होता। इससे पहले भी चर्चित राजनीतिक यात्राएं निकाली गयी हैं, उसके दूरगामी राजनीतिक परिणाम भी सामने आये हैं। तो आइये देखते हैं कि कब-कब ये राजनीतिक यात्राएं निकाली गयीं और इसके क्या परिणाम हुए-
1982 में एनटी रामाराव ने निकाली थी ‘चैतन्य रथम यात्रा’
1982 में आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव की निकाली गयी चैतन्य रथम यात्रा आज तक निकाली गयी सबसे चर्चित राजनीतिक यात्रा है। 75 हजार किलोमीटर लंबी यात्रा कर एनटी रामाराव ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इस यात्रा में एनटी रामाराव ने पूरे राज्य का 4 चक्कर लगाया था।
ने प्रदेश के चार चक्कर लगाए जोकि गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में है। 29 मार्च 1982 को नंदमूरी तारक रामाराव ने तेलुगु सम्मान के मुद्दे पर तेलुगुदेशम पार्टी का गठन किया और देश की पहली राजनीतिक रथयात्रा शुरू की। एक शेवरले वैन में बदलाव करके रथ का रूप दिया गया था। एनटीआर इस यात्रा में हर दिन 100 जगहों तक रुकते थे। यह यात्रा इतनी लोकप्रिय हुई थी कि जनता इसका इंतजार करती थी, महिलाएं उनकी आरती उतारती थीं। यात्रा के बाद जब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए तो तेलुगुदेशम पार्टी को 294 में से 199 सीटें मिलीं और एनटीआर आंध्र प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे।
1990 में अयोध्या मंदिर के लिए आडवाणी ने निकाली राम रथयात्रा
अयोध्या के राममंदिर को लेकर 1990 में भाजपा ने आन्दोलन को रफ्तार देने के लिए पूरे देश का भ्रमण करते हुए अयोध्या तक रथयात्रा की शुरुआत की थी। इस यात्रा की शुरात लालकृष्ण आडवाणी ने की थी। रथयात्रा 25 सितंबर को गुजरात के सोमनाथ से शुरू हुई थी। रथ यात्रा जब सैकड़ों शहरों व गांवों से होकर गुजरते हुए बिहार पहुंची तब तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने समस्तीपुर में रथयात्रा रोककर आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन रथयात्रा ने भाजपा को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में एक नई पहचान दी। इस रथयात्रा के बाद 1991 के जब लोकसभा चुनाव हुए तब भाजपा को 120 सीटें मिलीं जो पिछले चुनाव से 35 सीटें अधिक थीं। इस रथ यात्रा का ही परिणाम कहा जा सकता है कि तमाम संघर्षों और न्यायिक लड़ाइयों के बाद आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर अस्तित्व में आ गया है।
2004 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की वह चर्चित पदयात्रा
कांग्रेस के कद्दावर नेता वाईएस राजशेखर रेड्डी ने वर्ष 2004 में आंध्र प्रदेश के चेवेल्ला शहर से पैदलयात्रा की शुरुआत की थी। 1,500 किमी की यह पदयात्रा 11 जिलों से होकर गुजरी। इस यात्रा में भी जनता के बीच राजशेखर एक मसीहा के रूप में उभरे। जब अगले विधानसभा चुनाव हुए तब कांग्रेस ने 294 में से 185 सीटों पर जीत हासिल की और 10 वर्ष से जारी टीडीपी के शासन का खत्म किया। वाईएस राजशेखर रेड्डी मुख्यमंत्री बने थे।
2017 में जगनमोहन रेड्डी की प्रजा संकल्प यात्रा
आंध्र प्रदेश में एक और यात्रा 2017 में निकाली गयी थी। यह यात्रा भी काफी चर्चा में रही और युवा नेता जगनमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया। 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत के बाद कांग्रेस ने उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया था। तब जगमोहन ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का गठन किया। फिर पिता की तरह आंध्र प्रदेश में पदयात्रा निकाली। छह नवंबर 2017 में उन्होंने कडप्पा जिले से पदयात्रा शुरू की। जो 430 दिन में 13 जिलों के 125 विधानसभा क्षेत्रों से 3,648 किमी की दूरी तय करते हुए श्रीकाकुलम तक पहुंची। इस यात्रा के बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को 175 में से 152 सीटों जीत हासिल कर राजनीतिक जगत को चौंका दिया था। इस भारी जीत के बाद जगनमोहन आंध्र प्रदेश के सीएम बने।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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