भले ही वर्तमान झारखंड विधानसभा के कार्यकाल को पूरा होने में ज्यादा वक्त नहीं है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोरों पर गर्म है। चम्पाई सोरेन के मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद मंत्रिमंडल का गठन किया गया था। इस मंत्रिमंडल में पूर्व के हेमंत सरकार के मंत्रिमंडल में ज्यादा फेरबदल नहीं किया गया। लेकिन आलमगीर आलम के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के द्वारा गिरफ्तार किया जाने के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल की चर्चा होने लगी है। गिरफ्तार होने के कुछ दिनों के बाद आलमगीर आलम ने अपने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इससे पहले सीएम चम्पाई सोरेन ने उनसे उनके सारे अधिकारों को छीन लिया था।
आलमगीर आलम के मंत्री पद छोड़ने के बाद भले ही एक पद रिक्त हुआ है, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में दो लोग शामिल किये जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार एक नाम जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी का सामने आ रहा है जिन्हें आलमगीर आलम का विभाग दिया जा सकता है। दूसरे मंत्री बैद्यनाथ राम हो सकते हैं। बता दें कि झारखंड में 81 विधायकों के कारण मंत्रिमंडल में 12 मंत्री बनाये जा सकते हैं। लेकिन पिछली कुछ विधानसभाओं में 12वां मंत्री नहीं रखने की एक परम्परा बन गयी थी। चम्पाई सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल गठन के वक्त भी 12वें मंत्री का नाम घोषित किये जाने के बाद भी बैद्यनाथ राम मंत्री नहीं बन सके थे।
इस बार मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो जरमुंडी विधायक बादल पत्रलेख के मंत्रिपद पर संकट भी आ सकता है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व बादल पत्रलेख के काम से खुश नहीं है। फिर, लोकसभा चुनाव के दौरान उनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को कम वोट भी मिले थे। अगर ऐसा होता है तो उनकी जगह महगामा विधायक दीपिका पांडेय को मौका मिल सकता है।
बता दें कि कैबिनेट विस्तार को ही लेकर झारखंड कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने होटवार के बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा जाकर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। सम्भवतः दोनों नेताओं के बीच मंत्रिमंडल विस्तार पर ही चर्चा हुई है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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