यू तो पुरे कैमूर जिले में पशु तस्करी का धंधा उफान पर है। जो हमेशा चर्चा में रहने के बाद भी लगाम नही लग पाना चिंता की बात बनी हुई है। तस्करी का अवैध धंधा फलने फूलने का मूल कारण ज़िले के प्रत्येक थानों से तस्करों की सांठगांठ बताया जाता है। सूत्र बताते है कि ऐसा ही मामला सोमवार की सुबह सामने आया है।बताया जाता है कि एक पिकप पर सवार दर्जनों पशुओं को लेकर तस्कर चैनपुर से होते हुए कुदरा के रास्ते राजधानी पटना को वध हेतु ले जाए जा रहे थे। जैसे ही पिकप कुदरा थाना क्षेत्र में पहुंचा पिकप चालक बन्धी बंधाई रकम को गटक लेने के चक्कर मे।फरार होने की कोशिश करने लगा।तभी थाना के कर्मियों के हत्थे चढ़ गया।हालांकि कुदरा थाना तस्करों की गिरफ्तारी वाहन चेकिंग के दौरान किए जाने किंपुष्टि कर रहा है।चूंकि गिरफ्तार तीनो तस्कर स्थानीय होने के कारण लोगों के बीच मे चर्चा बना हुआ है सूत्र की माने तो अन्य पशु तस्करों के बीच इस बात की चर्चा बनी हुई है कि चालक एक वाहन पर बन्धी रकम 500 रुपये दे देता तो पुलिस गाड़ी नही पकड़ती।गिरफ्तार सभी तस्कर कैमुर ज़िले के भभुआ थाना क्षेत्र के बबुरा गांव के निवासी बताएं जाते है।पुलिस की माने तो एजाज़ खा पिता हकदार खा ग्राम बबुरा,राजा कुरेशी पिता जुम्मन कुरैशी ग्राम बबुरा के रहने वाले है।वही एक अन्य दानिश पिता मुहम्मद मुर्तुज़ा भभुआ का रहने वाला है विदित हो कि कैमूर में यह धंधा तेज़ी से फल फूल रहा है।
यह आम चर्चा है कि कैमूर से पशु को लाद कर तस्कर बिहार की राजधानी पटना व समस्तीपुर ले जाते है ।जिनका रूट बदलता रहता है पटना जाने के लिए कभी रामगढ़ बक्सर मार्ग तो कभी कोचस आरा मार्ग तो कभी विक्रमगंज पटना तो कभी दाउदनगर औरँगबाबद हो कर गन्तव्य जगहों पर जाते है।इन मार्गो से हो कर गुजरने वाले सभी प्रत्येक थानों पर रकम बंधी हुई रहती है। अवैध पशुओ की तस्करी सिर्फ कैमुर से बिहार के विभिन्न स्थानों पर ही नही कैमूर से उत्तरप्रदेश के वाराणसी,मुगलसराय, अली नगर,पड़ाव, इलाहाबाद, भदोन्ही,कानपूर लखनऊ आदि स्थानों पर भी धडले से हो रहा है, बताया जाता है तस्कर इतना चालाक है कि वह स्वंय पशु वाहनों पर न रह कर पशुओ के साथ मज़दूरों को भेजते है। जहां मज़दूर जान जोखिम में डाल पापी पेट का सवाल मरता नही तो क्या करते। पशु तस्कर भी अब डिजिटल व हाईटेक हो गए है अन्य धंधों की तरह भी इस धंधे की जानकारी मोबाइल व अन्य माध्यमो से पल पल की रखते है। इसके अतिरिक्त इनकी पैरवी कार भी काफी धन्ना सेठ होते है।पहले यूपी से बिहार की तरफ बड़े पैमाने पर पशु तस्करी का धंधा परवान चढ़ता था अब समय बदलने के साथ तस्करों ने भी तरीका बदल लिया, अक्सर बिहार की सड़कों पर तस्करों को पकड़ने की फिराक में लगी पुलिस को अब बड़ी मछली के बाजए छोटी मछलियों पर संतोष करना पड़ रहा है। वही बड़े पैमाने पर कैमुर ज़िले के विभिन्न स्थानों से यूपी की तरफ यह धंधा तेज़ी से फल फूल रहा है।
कैमूर से विवेक कुमार सिन्हा की रिपोर्ट
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