प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात'(Mann ki baat) कार्यक्रम में ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) को लेकर चर्चा की और इस धोखाधड़ी से लोगों को सतर्क रहने का आग्रह किया. इसके लिए उन्होंने लोगों को बाकायदा डेमो देकर जागरूक किया. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस अपराध में शामिल लोग समाज के दुश्मन हैं. उन्होंने कहा कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. ये सिर्फ धोखाधड़ी है, छल है, झूठ है, अपराधियों का गिरोह है. ये लोग समाज के दुश्मन हैं.
प्रधानमंत्री ने तकनीकी अपराध के बढ़ते मामलों और चिंताओं को संबोधित करते हुए आगाह किया. प्रधानमंत्री मोदी ने श्रोताओं को बताया कि विभिन्न जांच एजेंसियां इन धोखाधड़ी योजनाओं से निपटने के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र की स्थापना की गई है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य साइबर अपराध के खिलाफ प्रयासों को मजबूत करना और नागरिकों को ऐसे घोटालों से बचाना है. ये डिजिटल क्षेत्र में सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है. ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) धोखाधड़ी से सावधान रहें. कोई भी जांच एजेंसी पूछताछ के लिए कभी भी फोन या वीडियो कॉल के जरिए आपसे संपर्क नहीं करती है.
‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) करने वाले धोखेबाज कभी पुलिस, कभी सीबीआई, नारकोटिक्स तो कभी आरबीआई ऐसे कई लेबल का इस्तेमाल करके बड़े आत्मविश्वास के साथ फर्जी अधिकारी बनकर बात करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऑडियो सुनाकर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह कैसे काम करते हैं इसके बारे में सचेत किया.
न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार
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