झारखंड की सीटों पर 2019 से ज्यादा पड़े वोट, फिर भी वोटिंग 2014 से कम!

झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में झारखंड के मतदाताओं ने जमकर वोट वोट डाला है। अब इस वोटिंग का क्या मतलब है, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। ज्यादा वोटिंग होने के दो मतलब निकाले जाते हैं, एक- सत्ता को समर्थन में भारी मतदान और दूसरा- बदलाव की लहर। अगर इन दोनों फैक्टर का आकलन करने पर राय अलग-अलग ही आयेगी, लेकिन एक कारण जो समझ आता है, वह है सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा योजनाओं और वादों की बौछार। इसीलिए इन वादों का असर माना  जा रहा है कि प्रथम चरण में कुल 66.51% वोट मतदाताओं ने कर डाला है। इसकी तुलना में 2019 से करें तो उस विधानसभा चुनाव में इन 43 सीटों पर 63.90 प्रतिशत मतदान हुआ था। लेकिन अब यह देखना है कि जब झारखंड में दूसरे चरण की वोटिंग खत्म होती है तब यह आंकड़ा कहां तक पहुंचता है। झारखंड में अब तक जो सबसे अच्छी वोटिंग हुई है उसका प्रतिशत 66.91 है जो 2014 के विधानसभा चुनाव में हुआ था।

36 सीटों पर 2019 की तुलना में ज्यादा हुए मतदान

बुधवार को झारखंड की जिन 43 सीटों पर मतदान हुआ, उनमें 36 सीटें ऐसी रहीं जिन पर 2019 की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ। सिर्फ 7 सीटें ही ऐसी रहीं जहां पिछली बार की तुलना में कम मतदान हुआ। जिन जगहों पर कम मतदान हुआ उनमें जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी सीटें भी हैं। हटिया और कांके में भी पिछली बार से कम मतदान हुआ। इस कतार में पांकी, छतरपुर और भवनाथपुर भी शामिल हैं। कई सीटों पर तो यह अन्तर बेहद मामली या पिछले चुनाव से कुछ प्रतिशत ज्यादा रहा। लेकिन सबसे ज्यादा अंतर जो देखने को मिला है, वह सीटें खरसावां, तमाड़ और खूंटी की हैं। तीनों सीटों पर 6% से अधिक का हैरान करने वाला वोटिंग अंतर देखा गया। वोट करने में तो खरसावां ने सभी विधानसभा सीटों को पीछे छोड़ दिया है। खरसावां के मतदाताओं ने 79.11 प्रतिशत वोट किया है।

2019 और 2024 में हुई वोटिंग में क्या रहा अन्तर?

 

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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