झारखंड में धार्मिक पर्यटन को विकसित करने का मां बागलामुखी ब्रह्म विद्या संस्थान सोसाइटी ने किया आग्रह

Maa Baglamukhi

मां बागलामुखी ब्रह्म विद्या संस्थान सोसाइटी, रांची के सचिव पं रामदेव पाण्डेय ने झारखंड सरकार से आग्रह किया है कि झारखंड में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं।, इसे एक उद्योगीकरण रूप से विकसित करने की आवश्यकता है। यहां अन्तरराष्ट्रीय और अन्तरराज्यीय सैलानियों को यदि आकर्षित किया जाए तो दूसरे राज्यों की तरह दीर्घकालिक आर्थिक स्रोत का आधार बनेगा।

पं. रामदेव पांडेय ने कहा कि झारखंड के राजमहल को छोटा वृन्दावन कहा जाता है। यहां विदेशी पर्यटक आज भी आते हैं। पास का मलुटी (दुमका) को छोटी काशी कहते हैं। साहेबगंज, राजमहल में गंगा की दिव्यता है। चतरा का ईटखोरी हिन्दु-बौद्ध-जैन सर्किट है। महाने नदी की सुन्दरता है। रजरप्पा में वनाच्छादित दामोदर है। रांची के आसपास अनेकों जल प्रपात हैं। बंशीधर नगर (गढवा), टांगी नाथ (गुमला), रामरेखा धाम (सिमडेगा(, तिलैया डैम (कोडरमा), पंचेत डैम (धनबाद) ऐसे प्रसिद्ध स्थल जो अब गया, रांची, देवघरऔर कोलकाता हवाई मार्ग तथा बन्देभारत सर्किट में हैं।

इन स्थलों का विकास धर्म-अध्यात्म, गो-सेवा, मेडिटेशन सेन्टर, जड़ी-बुटी उत्पाद केंद्र,  छोटी-छोटी आवासीय व्यवस्था और जीरो टॉलरेंस से ही होगा। उदाहरणार्थ रिखिया आश्रम से देवघर में विदेशी पर्यटक आते है, पर शेष झारखंड में आचमन  शून्य  है।

वन विभाग और पर्यटक विभाग के जटिल नियमों में संशोधन की आवश्यकता है। इन स्थलों पर भारत के ध्यान योग केन्द्र, गो-पालन, जड़ी-बूटी उत्पादन के अच्छे संस्थान को आमंत्रित कर दीर्घकालिक लीज पर भूमि और इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया जाए।

पं. रामदेव पांडेय ने सरकार से ईटखोरी, रजरप्पा में 20 एकड भूखंड संस्था को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया है ताकि वहां पर ध्यान योग केन्द्र, गो-पालन और जड़ी-बूटी का उत्पादन किया जा सके। इसका सीधा लाभ राज्य को ही होगा।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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