Jharkhand Politics: सियासत में सफलता हासिल करने के लिए चुनावी बयानबाजी अब रिश्ते की मर्यादा को तार-तार करने लगे हैं। यह नजारा झारखण्ड की सियासत में साफ़ नजर आने लगा है।सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन (sita soren) के भाजपा में आने के बाद उन्हें अपने रिश्तेदार भी पराये लगने लगे हैं। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सीता सोरेन पति दुर्गा सोरेन की मौत के बाद गुरु जी के आशीर्वाद से विधायक बनती रही है।
पार्टी के बागी नेताओं से मिल रही चुनौती
गौरतलब है कि सीता सोरेन (sita soren) दुमका लोकसभा से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। लेकिन चुनावी मैदान में परिवार के खिलाफ बयानबाजी से उन्हें कितना फायदा या नुकसान होगा, ये तो नतीजे ही बताएँगे, लेकिन इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि जेएमएम को राजनैतिक लड़ाई अब पार्टी के बागी नेताओं से ज्यादा है।एक तरफ झामुमो के कई बागी लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी क लोकसभा चुनाव के बाद झामुमो के टूट कर बिखर जाने का दावा भी कर रहा है ।
जेएमएम के राजनीतिक भविष्य पर सवाल
जेएमएम अपने 51 साल के राजनैतिक सफर के बुरे दौर से गुजर रहा है। हेमंत जेल में बंद है। पार्टी के वरिष्ठ विधायक रहे लोबिन, चमरा लिंडा, सीता सोरेन (sita soren) को पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। इससे लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद जेएमएम के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। हालांकि यह भी सच है कि जब चुनावी मौसम आता है, तब हर दल में इस तरह की बगावत होती है और चुनाव बाद सब ठीक भी हो जाता है, लेकिन इसका खामियाजा सियासी दल को तो भुगतना ही पड़ता है।
कल्पना सोरेन बनीं खेवनहार
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यदि हेमंत सोरेन लम्बे समय तक जेल में रहे तो ये पार्टी के लिए कठिन दौर होगा। एक लड़ाई अपनों से, दूसरी लड़ाई राजनीतिक साख को एकजुट रखने की होगी। वहीं उलगुलान के जरिये पार्टी को शिखर तक पहुँचाने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन को ये दिन देखने पड़ेंगे । बात करें सोरेन परिवार की दूसरी बहू और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की तो ऊंची उड़ान भरने वाली कल्पना परिवार और पार्टी को विपरीत परिस्थितियों से निकालने में जुटी है और उन्हें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों का खास समर्थन भी मिल रहा है। कल्पना सोरेन पार्टी संगठन को धार देने को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं।
गांडेय विधानसभा उपचुनाव से तय होगा कल्पना का राजनीतिक भविष्य?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो गांडेय विधानसभा उपचुनाव राजनीति की लड़ाई लड़ रही कल्पना सोरेन की तकदीर बदल सकती है। इनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में गठबंधन और पार्टी यदि अच्छा प्रदर्शन करती है तो पार्टी और गठबंधन में कल्पना सोरेन का कद बढ़ना तय है। राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि आने वाले समय जेएमएम में कई बड़े बदलाव दिख सकते हैं। हालांकि झारखंड की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी जेएमएम को लेकर कार्यकर्ताओं के उत्साह में कोई कमी दिखाई नहीं पड़ रही है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम का दिखेगा विधानसभा चुनाव में असर!
पार्टी जहाँ अंदरुनी कलह और बागियों की नाराजगी झेल रही है, वहीं गुरु जी के छोटे बेटे बसंत सोरेन पार्टी में आए सभी संकटों को दरकिनार कर चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वहीँ सीता सोरेन से बसंत सोरेन की मुलाकात के राजनैतिक राज भी छुपे हैं। झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल सीता सोरेन (sita soren) को बीजेपी ने दुमका लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है, तो हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी राजनीति में एंट्री लेकर गांडेय विधानसभा उपचुनाव में ताल ठोंक रही हैं। चुनावी जनसभाओं में हेमंत सोरेन की आवाज बनी कल्पना सोरेन का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इसके लिए लोकसभा आम चुनाव और गांडेय विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने तक इंतजार करना होगा, लेकिन इतना यो तय है कि इस लोकसभा चुनाव के परिणाम का असर आगामी विधानसभा चुनाव पर भी जरूर दिखाई पड़ेगा।
समाचार प्लस के लिए अंजनी कुमार की रिपोर्ट