कोडरमा निवासी एक 33 वर्षीय पुरुष, जिसकी संवेदना शून्य थी और पिछले 1 दिन से सांस की तकलीफ बढ़ने की शिकायत के साथ पारस एचईसी अस्पताल आया, क्योंकि बाहर के अस्पताल में उसे अविलंब डायलिसिस करने की सलाह दी गई थी। अस्पताल में जांच करने पर उक्त व्यक्ति के अंडकोष एवं किडनी में गंभीर इन्फेक्शन पाया गया। पल्स -128/मिनट्,बीपी160/20 पाया गया ! मरीज़ को गंभीर मेटाबोलिक एसिडोसिस था। मरीज़ को खराब जीसीएस के कारण आपातकालीन स्थिति में तुरंत इंटुबैट किया गया। छाती का एक्स रे करने पर पल्मोनरी एडिमा पाया गया, जिसके कारण तत्काल हृदय रोग विशेषज्ञ की राय ली गई और मरीज़ को आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया। 2D ईको स्क्रीनिंग से पता चला कि LVEF-35%/DCMP में तीव्र हृदय की विफलता के साथ संदिग्ध हार्ट अटैक की प्रबल संभावना थी जिसके फलस्वरूप डोबुटामाइन और लासिक्स इन्फ्यूजन पर शुरू किया गया । इलाज के दौरान जांच में किडनी की समस्या भी पाई गई।
मरीज़ के परिजनों से जानकारी मिली कि 3 सप्ताह पहले अंडकोष की सूजन के साथ मरीज़ को बुखार भी आया था। मरीज़ के तीव्र हृदय विफलता को देखते हुए पारस एचईसी अस्पताल के चिक्त्सकों ने इलाज शुरू किया। इन्फेक्शन की पुष्टि होने के बाद मरीज़ को शुरुआत में एंटीबायोटिक्स दिया गया और अन्य सहायक उपायों के साथ अस्पताल में इलाज चलने लगा। जल्द ही मरीज़ के जीसीएस में सुधार पाया गया और रोगी की हालत में सुधार होने लगा। धीरे-धीरे किडनी ठीक होने लगा और साथ ही इन्फेक्शन भी कम होने लगा। मरीज की हालत में सुधार होने पर उसे आईसीयू से बाहर शिफ्ट किया गया। मरीज़ के अंडकोश की सूजन भी कम हो गई। जिसके फलस्वरूप हृदय के पम्प करने की क्षमता में काफ़ी सुधार आया।
पारस एचईसी अस्पताल के चिकित्सक डॉ अशोक कुमार बैद्य ने बताया कि अंडकोष में इन्फेक्शन के कारण हृदय के पंप करने की क्षमता धीमी हो गई थी जिसे सेप्टिक कार्डियोमायोपैथी कहते हैं। प्रारंभिक अवस्था में यह हार्ट अटैक के जैसा ही प्रतीत होता है और इन्फेक्शन दूर होने के बाद हृदय पूर्णतया अपनी सामान्य क्षमता में वापस आ जाता है।
इस प्रकार इस मरीज़ को बिना डायलिसिस के सिर्फ़ दवाई की मदद से ,इसका किडनी, हृदय एवं ब्रेन के फेलुअर को ठीक किया गया।
पारस एचईसी अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश ने कहा कि आज की विपरीत परिस्थितियों में मरीज़ों के शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता पहले की भाँति अमूमन कम होती जा रही है। ऐसे में हमारी कोशिश रहती है कि मरीज़ों के शरीर को कम से कम प्रभावित करते हुए बेहतर चिकित्सा सेवा दी जाय। किडनी एवं हार्ट फेल के इस मरीज़ को बिना डायलिसिस के सिर्फ़ दवाई की मदद से किडनी, हृदय एवं ब्रेन का उपचार कर ठीक किया गया।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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