अक्सर ‘मैं किसी से नहीं डरता’ कहने वाले राहुल गांधी देश को संदेश क्या देना चाहते हैं। यही ना कि ‘डर सबको लगता है, गला सबका सूखता है’। बड़ी हील-हुज्जत के बाद आखिर कांग्रेस ने यह तय कर लिया कि राहुल गांधी वॉयनाड के अलावा दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। लेकिन इस बार वह सीट अमेठी नहीं होगी, बल्कि रायबरेली होगी, जिस पर उनकी मां हमेशा चुनाव जीतती आयी है, और शायद कांग्रेस भी यह मान कर चल रही है कि यह सीट अब भी उसके लिए अजेय है। लेकिन यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि इस सीट पर लगातार लड़ते हुए भी सोनिया गांधी के वोटों का प्रतिशत भी लगातार घटता रहा है, जिससे ‘भयभीत’ होकर ही शायद उन्होंने राज्यसभा के रास्ते संसद में जाना ज्यादा मुनासिब समझा।
खैर, उत्तर प्रदेश की दो सबसे चर्चित सीटों पर नामांकन के एक दिन पहले कांग्रेस ने ऐलान कर दिया कि गांधी परिवार का गढ़ माने जानी वाली रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से किशोरी लाल शर्मा चुनाव लड़ेंगे। शुक्रवार यानी आज अपनी मां सोनिया गांधी की उपस्थिति में राहुल गांधी रायबरेली से नामांकन भी करेंगे।
अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने का भी तो जायेगा गलत संदेश!
राहुल गांधी का केरल की वॉयनाड सीट पर मतदान हो जाने के बाद दूसरी सीट से चुनाव लड़ने का निश्चित ही गलत संदेश जायेगा। हर किसी को अब यह आशंका होने लगी होगी कि क्या राहुल गांधी की वॉयनाड सीट भी सुरक्षित नहीं है जिसके कारण उन्होंने दूसरी सीट से चुनाव लड़ना पड़ रहा है? वह भी काफी मंथन और शंका-शुबहा के साथ। लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात अमेठी से चुनाव नहीं लड़ना रहेगा, यह तो कांग्रेस के खिलाफ और भी बड़ा संदेश लेकर जायेगा कि अमेठी में हार के डर से राहुल सुरक्षित समझी जाने वाली रायबरेली सीट से चुनाव लड़ना चले गये। राय बरेली से उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से होगा। दिनेश प्रताप सिंह 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। इस चुनाव में सोनिया गांधी को 534, 918 (55.80%) वोट मिले थे जबकि दिनेश प्रताप सिंह 36,740 (38.36%) वोट मिले थे। सोनिया गांधी का यह मत प्रतिशत रायबरेली से लड़े गये सभी चुनाव में सबसे कम है। 2006 के अपने पहले चुनाव में सोनिया गांधी को 80.49% वोट मिले थे। परन्तु जिस तरह से सोनिया गांधी (कांग्रेस) का वोट प्रतिशत घटता गया है उसी हिसाब से अगर इस बार भी और घटा तथा भाजपा का बढ़ गया तो नतीजा कुछ भी हो सकता है। वैसे भी जिस सीट पर इंदिरा गांधी हार सकती हैं, और जिस सीट पर तीन बार भाजपा जीत चुकी है, वहां कुछ भी हो जाये तो कुछ भी अचम्भा नहीं है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: रांची लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ ने दाखिल किया नामांकन