संसद का शीतकालीन सत्र शुरू, छाये रहेंगे अडाणी, मणिपुर और वक्फ बिल मुद्दे

संसद के शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। शीतकालीन सत्र में केन्द्र सरकार 16 विधेयक पेश करने वाली है, जिसमें वक्फ संशोधन विधेयक करेगा। फिलहाल इस विधेयक भी शामिल है, लेकिन इस सत्र में आडाणी के ऊपर अमेरिका में लगे कथित धोखाधड़ी के मामले और मणिपुर की ताजा हिंसक स्थिति को लेकर बने हालात के मुद्दे भी सदन के पटल पर छाये रहेंगे।

संसद का शीतकालीन सत्र की शुरुआत में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्पीकर ने कहा कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की विचारधारा की हो संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकती।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोगों के अधिकारों और पारदर्शिता के लिए समय-समय पर संविधान में परिवर्तन किए गए हैं, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल, किसी भी सरकार ने संविधान की मूल भावनाओं से छेड़छाड़ नहीं की। किसी भी पार्टी की विचारधारा की सरकार हो हम कभी भी संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं।उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा कहा है कि समाज के वंचित, गरीब, पिछड़े लोगों को आज भी सामाजिक आरक्षण की आवश्यकता है। इसलिए उनके जीवन में सामाजिक परिवर्तन हो, उनके जीवन में समृद्धि आए। इसके लिए सरकार संविधान के मूल दर्शन में काम करती है।

उन मुद्दों पर संसद में बनी रहेगी तल्खी

संसद के शीतकाली सत्र में जिन मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष में तल्खी छायी रहेगी, उनमें वक्फ विधेयक बिल भी शामिल है। वक्फ संशोधन को लेकर बनी संसदीय समिति की बैठक में काफी हंगामे हुए हैं। जिसके केंद्र में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपध्याय थे। इस हंगामें के दौरान टीएमसी सांसद चोटिल हो गए। बात इतनी बिगड़ गई संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कार्रवाई की चेतावनी दे दी थी।

वक्फ बिल के बाद संसद में उद्योगपति गौमत अडाणी और उनके करीबियों पर अमेरिकी कोर्ट में रिश्वत और धोखाधड़ी के जो आरोप लगे हैं। उसको लेकर देश में विपक्ष हमलावर है। यहां तक कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है। इसके अलावा मणिपुर में हाल के दिनों में जो हिंसक घटनाएं हुई हैं, उसको लेकर भी विपक्ष केन्द्र सरकार पर हमलावर है। यह मुद्दा भी सदन में खूब छायेगा।

इसके अलावा भारत और कनाडा के बीच चल रहा कूटनीतिक विवाद भी मुद्दा बनेगा। 14 अक्टूबर को कनाडा सरकार द्वारा यह कहे जाने के बाद कि हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड की जांच में उच्चायुक्त सहित भारतीय राजनयिक “रुचि के व्यक्ति” थे, जिसके बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ गया है।

भारत और कनाडा के बीच रिश्ते इतने बिगड़ गए कि केंद्र सरकार ने कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया और 6 कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया। इसके अलावा, ट्रूडो प्रशासन के वरिष्ठ सदस्यों ने आरोप लगाया कि कनाडा में स्थित खालिस्तान अलगाववादियों को निशाना बनाने के अभियान के पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हाथ है। बयानों के बाद, भारत ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से “सबसे कड़े शब्दों में” विरोध दर्ज कराया, आरोपों को “बेतुका और निराधार” बताया है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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