Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में शिवसेना गुटों का करीब डेढ़ साल से चल रहे विवाद का बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पटाक्षेप कर दिया। इस फैसले में एकनाथ शिंदे गुट की जीत हुई है जबकि उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना को जोरदार झटका लगा है। उद्धव ठाकरे को झटका लगने के बाद एनसीपी शरद पावर गुट की भी सांसें अटक गयी हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल भी पैदा हो गया है कि अब महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन का क्या होगा। अब इंडी गठबंधन में कि तरह से महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेंगी। शिवसेना उद्धव और एनसीपी शरद पवार अगर पार्टी विहीन हो जायेंगे तो ये किस आधार पर चुनाव लड़ेंगे। फिर किसके साथ और किस तरह गठबंधन कर पायेंगे। हालांकि इसके लिए जनवरी महीने भर इन्तजार करना होगा, उसके बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि महाराष्ट्र की राजनीतिक दशा और दिशा क्या रहेगी। तब शायद कांग्रेस को खुला खेत मिल जायेगा, वह जितने चाहे अपने प्रत्याशी महाराष्ट्र में खड़ी कर देगी। लेकिन तब समर्थन वह किसका लेगी?
रांट्रीय कांग्रेस पार्टी-शरद पवार गुट पर क्यों है खतरा?
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच शिवसेना में टूट के बाद अब शरद पवार के एनसीपी पर खतरा मंडराने लगा है। एनसीपी टूट पर स्पीकर राहुल नार्वेकर 31 जनवरी तक अपना फैसला सुना सकते हैं। एनसीपी में टूट पर स्पीकर 6 जनवरी को ही कार्रवाई शुरू कर चुके हैं। 18 जनवरी से पहले का समय एनसीपी के शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार गुट की तरफ से गवाहों और हलफनामों को भी दिया जाने वाला है। इसके बाद 20 जनवरी को स्पीकर राहुल नार्वेकर गवाहों से पूछताछ करेंगे और फिर जवाब देने के लिए 23 जनवरी की तारीख तय की गई है। इसके बाद स्पीकर 25 जनवरी से 27 जनवरी तक सुनवाई करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर नार्वेकर को एनसीपी के मामले में 31 जनवरी तक फैसला सुनाने की डेडलाइन दे रखी है। यानी 31 जनवरी पर एनसीपी टूट पर भी फैसला आ जायेगा।
बता दें कि एनसीपी में 2 जुलाई 2023 को तब टूट हुई थी जब अजित पवार और उनके गुट के विधायकों और कार्यकारी अध्यक्षों में से एक प्रफुल्ल पटेल ने बागी तेवर अपनाए थे। एनसीपी से अलग होकर सभी बीजेपी नीत एनडीए में शामिल हो गए थे। इस टूट का रिवार्ड भी भाजपा ने अजित पवार को दिया। एनडीए सरकार में अजित पवार दूसरे डिप्टी सीएम बनाये गये हैं। उनके खेमे के कुछ विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी बनाया गया है। लड़ाई यहीं पर खत्म नहीं होती है। दोनों गुट अपने-अपने गुट को असली बता रहे हैं और चुनाव चिह्न घड़ी को अपना बता रहे हैं। अब 31 जनवरी को स्पष्ट हो जायेगा कि अजित गुट और पवार गुट में से असली एनसीपी कौन है और घड़ी चुनाव चिह्न किसका है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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