झारखंड में 7-5-1-1 का फॉर्मूला फेल, लोकसभा चुनाव में इंडी घटक किस ओर?

7-5-1-1 formula failed in Jharkhand, which side will the Indi component be on in the Lok Sabha elections?

भाजपा की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए बनाये गये इंडी गठबंधन में जिस प्रकार देशभर में नहीं बन रही है, झारखंड में भी वही हाल है। मजबूती से एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात करने वाले गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दालों के बीच दूरियां साफ दिखाई दे रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस ने पेश किया है। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं, इनमें से 3 पर अपने प्रत्याशी उतार कर गठबंधन की एकता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। लेकिन इसके आगे गठबंधन की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही है। झारखंड में कौन की पार्टी कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, यह सस्पेंस अब तक बरकरार है। हालांकि सीपीआई ने  चतरा, पलामू, दुमका और लोहरदगा से उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करके इंडी घटक दल से अलग चलने का ऐलान कर दिया है। झारखंड में सीपीआई-एमएल ने भी कोडरमा लोकसभा से बगोदर के विधायक को, प्रत्याशी बनाया है। कुल मिलाकर झारखंड में दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और जेएमएम  के बीच सीट शेयरिंग का पेंच अब भी फंसा हुआ है। दोनों ओर से किसी प्रकार की कोई पहल भी नहीं होती दिख रही है। यहां दिक्कत यह है कि झारखंड में इंडी घटक दल उम्मीदवारों को लेकर जातीय समीकरण के हिसाब से उमीदवार तालाश रहा है।

कहां पर उलझा हुआ है पेंच?

गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को सिर्फ राजमहल लोकसभा में जीत मिली थी, अब  पांच सीटों पर दावा कर रही है। चूंकि अब तक झामुमो खुद को गठबंधन में बड़ा भाई कहता रहा है, इस कारण गठबंधन धर्म निभाने के चक्कर में वह अपने को फंसा महसूस करने लगा है। झारखंड में एनडीए ने अपने पूरे उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन गठबंधन दलों के बीच कोई तारतम्य नहीं है। गठबंधन की मुश्किलें बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल ने पलामू और चतरा से चुनाव लड़ने का दावा कर दिया है। राजद की इस घोषणा के बाद इंडी घटक में बेचैनी और बढ़ गयी है। यहां यह बता दे कि झारखंड में चार चरणों में मतदान होगा। इसके लिए यहां 18 अप्रैल से नामांकन के लिए अधिसूचना जारी हो जायेगी। इसके बाद 26 अप्रैल, 29 अप्रैल और 7 मई को अगले चरणों के नामांकन की अधिसूचना जारी होगी। इससे यह समझा जा सकता है कि गठबंधन के पास सोचने के लिए अभी थोड़ा वक्त है। लेकिन यहां गठबंधन की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह सोचने के अलावा कुछ कर नहीं रहा।

गठबंधन में कोऑर्डिनेशन का घोर अभाव

महा गठबंधन से इंडी घटक दल बना जरूर, लेकिन अब तक एक बार भी कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक झारखंड में आयोजित नहीं की गई। आपको बताते चलें कि कोऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष गुरुजी यानी शिबू सोरेन हैं। अब आगे क्या होगा, क्या सभी अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे, यह एक बड़ा सवाल है। झारखंड में इंडी घटक के सभी दल सिर्फ एक बात कहते हैं, हमारी सभी चीज तय हैं। फिर देर क्यों? कुल मिलाकर झारखंड में सीट शेयरिंग को लेकर 7-5-1-1 का फॉर्मूला फेल होता नजर आ रहा है। अब किस नये फॉर्मूले पर गठबंधन की बात बनेगी, इसके लिए समय का इन्तजार तो करना ही होगा।

रांची से अंजनी कुमार की रिपोर्ट 

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