रांची सिविल कोर्ट के एक फैसले पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्ण दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर जमानती वारंट के निष्पादन नहीं किया गया है तो गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किया जा सकता। लेकिन निचली अदालत में ऐसा किये जाने के बाद मामला हाई कोर्ट में पहुंचा तब कोर्ट को आदेश देना पड़ा कि जमानती वारंट के निष्पादन के बिना गैर जमानती वारंट कोई भी मजिस्ट्रेट जारी नहीं कर सकता। रांची सिविल कोर्ट ने विशाल कुमार के मामले में पहले जमानती वारंट जारी किया था. जिसके बाद गैरजमानती वारंट भी जारी कर दिया गया। इसी आदेश के खिलाफ विशाल कुमार हाई कोर्ट में पहुंचे थे। विशाल कुमार की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने बहस की।
विशाल कुमार के मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की पीठ में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने अपने आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि अदालत को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत अपने निर्णय में पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अभियुक्त फरार था या गिरफ्तारी से बचने के लिए छिप रहा था।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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