होलिका दहन और होली खेलने को लेकर ना हों कन्फ्यूज, काशी पंचांग में है सब है क्लीयर!

Don't be confused about Holika Dahan and playing Holi.

होली हिंदुओं का बहुत बड़ा पर्व है। देश ही नहीं, विदेशों में भी हिन्दू धूमधाम से होली मनाते हैं। भारत में मनाये जाने वाले दूसरे पर्वों की तरह होली से भी कुछ और परम्पराएं लोकाचार जुड़े हुए हैं। उसी तरह से होली मनाने से पहले बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को किया जाता है। इसी के अगले दिन होली मनाई जाती है। होली सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार तो है ही, साथ ही यह पर्व भाईचारे और सौहार्द का भी प्रतीक है। इसीलिए भारत में अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाये जाने के बाद भी इसमें जश्न और उत्साह का माहौल दिखता है।

होली जब भी आती है तब एक दुविधा हमेशा रहती है कि होलिका कब जलेगी और होली कब मनायी जायेगी। मगर बता दें कि यह दुविधा रहते हुए पंचांग में इसको लेकर निर्देश बिल्कुल साफ है। रांची के ज्योतिषाचार्य भवनाथ मिश्र काशी पंचांग का हवाल देकर बता रहे हैं कि इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 10 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रही। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। पंडित भवनाथ मिश्र के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 10 बजकर 30 बजे  से शुरू हो रहा है, जो करीब एक घंटे तक रहेगा।

कब मनेगी होली?

पं. भवनाथ मिश्र के अनुसार, जब तब पूर्णिमा रहती है तब तब होली मनाने का विधान नहीं है। चूंकि 25 मार्च को पूर्णिमा 11.30 बजे तक है, इसलिए इसके बाद देश के अधिकांश लोग होली मना लेंगे। कुछ लोग जो कि उदया तिथि को मानते हैं, वे लोग 26 मार्च को होली मनायेंगे। लेकिन काशी पंचांग के अनुसार 25 मार्च को ही होली मनायी जायेगी।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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