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भारत–EU मिलकर करेंगे समुद्र के नीचे बिछी इंटरनेट केबल्स की सुरक्षा, डिजिटल युग में ‘अंडरसी नेटवर्क’ बनेगा और मजबूत

भारत और यूरोपीय संघ हिंद महासागर में अंडरसी इंटरनेट केबल्स की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने की तैयारी में हैं। दुनिया के 99% इंटरनेट ट्रैफिक को संभालने वाली इन केबल्स को बढ़ते खतरों से बचाने के लिए रणनीतिक बैठक दिल्ली में आयोजित होगी। जानें, क्यों जरूरी है इन केबल्स की सुरक्षा।

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भारत और यूरोपीय संघ (EU) अब हिंद महासागर में बिछी पानी के नीचे की इंटरनेट केबल्स (Submarine Cables) को सुरक्षित करने के लिए साथ काम करने जा रहे हैं। ये वही केबल्स हैं जिन पर दुनिया के 99% इंटरनेट ट्रैफिक का भार टिका है। ये महाद्वीपों, देशों और अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाली डिजिटल लाइफ़लाइन हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा आज के समय में बेहद अहम हो गई है, क्योंकि इनके क्षतिग्रस्त होने से पूरे इंटरनेट सिस्टम में भारी व्यवधान आ सकता है।


जनवरी में दिल्ली में होगी बड़ी बैठक

ईटी टेलीकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत–EU का वार्षिक शिखर सम्मेलन 27 जनवरी को दिल्ली में होने वाला है।
इससे पहले इस हफ्ते भारत, EU और हिंद महासागर क्षेत्र के कई देशों के लगभग 70 शीर्ष अधिकारी और सैन्य प्रतिनिधि एक बड़ी रणनीतिक बैठक में हिस्सा लेंगे।

इस मीटिंग का मुख्य फोकस होगा:
"अंडरसी इंटरनेट केबल्स को सुरक्षित करने की संयुक्त रणनीति"

यह पहल हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों को मजबूत करने के लिए अहम मानी जा रही है।


क्यों जरूरी हैं ये समुद्री केबल्स?

समुद्री इंटरनेट केबल्स (Submarine Cables) समुद्र के नीचे हजारों किलोमीटर तक बिछी रहती हैं और दुनिया का लगभग पूरा इंटरनेट इन्हीं पर चलता है:

  • Facebook, YouTube, Google, WhatsApp, Netflix—सबकुछ इनके जरिए चलता है

  • सैटेलाइट इंटरनेट सिर्फ 1% से भी कम ट्रैफिक संभालता है

  • भारत से यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर, खाड़ी देशों आदि तक जाने वाली अधिकतर केबल्स हिंद महासागर से होकर गुजरती हैं

भारत में 5G लगभग पूरा हो चुका है और अब AI व डेटा-इकोनॉमी तेज़ी पकड़ रही है। ऐसे में इन केबल्स की सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो गई है।


ये मीटिंग क्यों खास है?

EU ने साफ कहा है कि इस बैठक का उद्देश्य है:

  • भारत और EU के बीच डिजिटल सुरक्षा सहयोग बढ़ाना

  • केबल्स को कहाँ-कहाँ खतरा है, इसकी मैपिंग करना

  • हिंद–प्रशांत क्षेत्र में साझा सुरक्षा रणनीति बनाना

  • भविष्य की हाई-डेटा दुनिया (AI + 5G + क्लाउड) के लिए नेटवर्क सुरक्षित करना

EU पहले ही अंडरसी केबल सुरक्षा का एक्शन प्लान बना चुका है, जिसे भारत जैसे बड़े पार्टनर के साथ मिलकर और मज़बूत बनाने की योजना है।


अंडरसी केबल्स को खतरा किससे है?

समुद्र तल पर ये केबलें काफी हद तक खुली और असुरक्षित रहती हैं। इन्हें खतरा है:

1. दुश्मन देशों या संगठन द्वारा जानबूझकर तोड़फोड़

  • कुछ समय पहले लाल सागर में हूती विद्रोहियों ने केबल्स को नुकसान पहुँचाया

  • इससे कई देशों का इंटरनेट दिनों तक प्रभावित रहा

2. समुद्री गतिविधियों से अनजाने नुकसान

  • जहाजों के एंकर

  • मछली पकड़ने के बड़े जाल

  • समुद्री कंपनियों की ड्रिलिंग गतिविधियाँ

3. sabotage या cyber-operations

  • कुछ मामलों में देशों ने एक-दूसरे की केबल्स को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की है

भारत और पाकिस्तान की अंडरसी केबल्स से छेड़छाड़ का मामला भी इसी साल सामने आया था।


भारत–EU साझेदारी क्यों जरूरी?

  • हिंद महासागर वैश्विक इंटरनेट का सबसे बड़ा रूट है

  • भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था का वैश्विक हब बन रहा है

  • यूरोप तकनीकी सुरक्षा साझेदारी मजबूत करना चाहता है

  • दोनों मिलकर ‘अंडरसी केबल सुरक्षा नेटवर्क’ तैयार कर सकते हैं

इस साझेदारी से भविष्य में इंटरनेट कटने, नेटवर्क बंद होने और डेटा सुरक्षा से जुड़ी बड़ी समस्याओं को रोकने में मदद मिलेगी।


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