संथाल परगना की राजनीति ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को ऊंचाई तक पहुंचाया है। यही वजह है कि अब बीजेपी सीता सोरेन (Sita Soren) के सहारे संथाल को जीतना चाहती है। गौरतलब है कि संथाल की राजनीति सोरेन परिवार के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही है ।
संथाल पर टिकी भाजपा की नजर
दुमका की राजनीति में सीता सोरेन(Sita Soren) की एंट्री बीजेपी से होने के बाद संथाल की राजनीति का रंग सतरंगी हो गया है। इसे बीजेपी की एक बड़ी राजनैतिक सेंधमारी बताया जा रहा है। बता दें कि लोकसभा चुनाव में अंतिम चरण में दुमका, गोड्डा और राजमहल में एक जून को वोटिंग होगी। संथाल को बीजेपी भी जीतना चाहती है तो वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा भी। बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की नजर तो संथाल की राजनीति पर ही टिकी है।
दुमका सीट में किसकी होगी जीत
झारखंड की उपराजधानी दुमका की बात करें तो ये इस हॉट सीट पर गुरु जी की बड़ी बहू सीता सोरेन (Sita Soren) बीजेपी से प्रत्याशी हैं। इस बार इनका राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है। सीता सोरेन अपने परिवार और झारखंड मुक्ति मोर्चा से बागी होकर चुनावी मैदान में हैं। पहले गुरु जी के बड़ी बहू के नाते विधायक बनते रहीं हैं। अब अपने और बीजेपी के बलबूते चुनाव जीतना इनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
हेमंत सोरेन के बिना चुनाव लड़ रही पार्टी के सामने बड़ी चुनौती
दुमका में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी नलिन सोरेन के लिए इंडिया घटक की तरफ चुनाव प्रचार किया जा रहा है। संथाल में हेमंत सोरेन के बिना चुनाव लड़ रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए भी एक बड़ी चुनौती होगी। पहली बार कल्पना सोरेन लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमान संभाली है, उसका कितना फायदा मिलेगा? उधर दुमका में बीजेपी के अंदरखाने गुटबाजी भी दिखाई दे रही है। सीटिंग सांसद सुनील सोरेन का टिकट कटने से नाराज चल रहे हैं । दुमका सीट से यदि सीता सोरेन को जीत मिली तो केंद्र की राजनीति में कदम रखेंगी। इस चुनाव के रास्ते बीजेपी विधानसभा चुनाव की भी तैयारी में जुटी है।
बागी बने सिरदर्द
राजमहल की बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के वोट में यहाँ सेंधमारी पार्टी से निष्कासित वरिष्ठ विधायक लोबिन कर रहे हैं । यहाँ वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सीटिंग सांसद विजय हांसदा को बीजेपी के ताला मरांडी और जेएमएम के बागी लोबिन हेंब्रम से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। वहीं जेएमएम के छोटे बड़े नेताओं का ताबड़तोड़ चुनावी दौरा हो रहा है। लेकिन विजय हांसदा के लिए राह कठिन है।
निशिकांत दुबे और प्रदीप यादव के बीच सीधी टक्कर
गोड्डा लोकसभा सीट की बात करें तो बीजेपी के निशिकांत दुबे और कांग्रेस के प्रदीप यादव के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। गोड्डा की राजनीति में निशिकांत दुबे की मजबूत पकड़ है। इस सीट से बीजेपी की प्रतिष्ठा जुड़ी है ।
बीजेपी के लिए भी एक बड़ी चुनौती
अब सवाल ये उठता है कि 14 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा करनेवाली बीजेपी के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। वहीँ कल्पना सोरेन बीजेपी पर चुनाव प्रचार में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डालने की साजिश रचने का आरोप लगाती रहीं हैं। शायद इसका फायदा झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिल सकता है।
न्यूज़ डेस्क / समाचार प्लस, झारखंड- बिहार
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