उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में तमाम परेशानियों के बाद भी आस्था का सैलाब हिलोरे मार रहा है। प्रयागराज महाकुम्भ के अब 34 दिन बीत चुके हैं, लेकिन देश के कोने-कोने से आने वालों का तांता लगा ही हुआ है। प्रयागराज में इन 34 दिनों में आपको अनेक कहानियां मिल जायेंगी। हर कहानी आपको हैरान भी करेगी। इस बीच प्रयागराज एक पिता-पुत्री भी पहुंचे हैं। इनका वहां आने का तरीका आपको हैरान कर देगा। दोनों साइकिल से 675 किलोमीटर की दूरी की यात्रा करके प्रयागराज पहुंचे हैं। दिल्ली की रहने वाली अनुपमा पंत अपने पिता उमेश पंत के साथ साइकिल से ही महाकुंभ की ओर निकल पड़ी थी। ये सिर्फ महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए ही नहीं आये है, दरअसल अपनी इस यात्रा के माध्यम से ये एक संदेश लोगों को देना चाहते हैं। इतना ही नहीं एक साइकिल यात्रा तो अभी रास्ते में ही है। वह बेंगलुरू से 1750 किमी की यात्रा करके प्रयागराज पहुंचेगा। फिलहाल उसने चित्रकूट तक की यात्रा तय कर ली है।
675 किमी साइकिल से यात्रा करने के बाद अनुपमा पंत ने बताया कि त्रिवेणी में संगम स्नान के साथ पूरी दुनिया को स्वस्थ रहने और साइकिल चलाने का संदेश देना चाहती हैं। उनके पिता उमेश भी यह संदेश देते हैं कि अगर लोग साइकिल से ज्यादा यात्रा करेंगे तो तमाम समस्याओं का समाधान भी निकल सकता है।
उधर ओडिशा के के नंदी घुशखमारी भी बेंगलुरु से साइकिल यात्रा कर प्रयागराज महाकुंभ पहुंचने वाले हैं। फिलहाल घुशखमारी डेढ़ हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर चित्रकूट पहुंचे हैं। वहां से प्रयागराज महाकुंभ पहुंचकर स्नान करेंगे और फिर अपनी यात्रा का समापन करेंगे।
बता दें कि नंदी घुशखमारी की यह पहली यात्रा नहीं हैं। उन्होंने दो साल पहले साइकिल से ऑल इंडिया टूर शुरू किया था, जिसमें 28 राज्यों को कवर करते हुए 20,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की थी।
नंदी घुशखमारी का भी संदेश है कि ‘राइड साइकिल एंड सेव नेचर’ है। वह पर्यावरण संरक्षण और साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए यह यात्रा कर रहे हैं। नंदी भी मानते हैं कि महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। भारत में सभी धर्मों के लोग रहते हैं, लेकिन हिंदू धर्म का यह पर्व सबसे भव्य है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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