हेमंत सोरेन ने विधानसभा में अपनी सरकार का फ्लोर टेस्ट पास करने के बाद मंत्रिमंडल का गठन कर लिया। मंत्रिमंडल के गठन के बाद उन्होंने विभागों का बंटवारा भी कर लिया। हेमंत सोरेन भले ही आदिवासियों के हितों की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने कैबिनेट में हर समुदाय को जगह देकर न सिर्फ एक अच्छा संदेश दिया है, बल्कि कुछ महीनों बाद होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की बिसात की चौतरफा नाकेबंदी भी की है। हेमंत सोरेन नें सभी वर्ग के मंत्रिमंडल में जगह देकर अगड़ी जाति से लेकर दलित वोट बैंक को साधने का पूरा प्रयास किया है। हेमंत के मंत्रिमंडल में आदिवासी समाज विशेष तवज्जो दी गयी। ऐसा करके उन्होंने सिर्फ संथाल ही नहीं, झारखंड के दूसरे क्षेत्रों पर साधने का काम किया है। मंत्रिमंडल में बेबी देवी को जगह देकर कुर्मी समाज को भी संदेश दिया है।
हेमंत मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान
हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल को ध्यान से देखें तो जातीय समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है। ब्राह्मण, कुर्मी, मुस्लिम, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति को खास तवज्जो दी गयी है। झारखंड की वर्तमान राजनीति में इन जातियों को साध लेना सफलता की कुंजी माना जा सकता है। झारखंड में चुनाव में आदिवासी, मुस्लिम, और कुर्मी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। वहीं कांग्रेस ने भी सभी वर्गों का ध्यान रखा है। कांग्रेस ने आदिवासी समाज से डॉ. रामेश्वर उरांव, मुस्लिम समाज से इरफान अंसारी, अगड़ी जाति से दीपिका पांडेय सिंह और ओबीसी से बन्ना गुप्ता को मंत्री बनाया है। वहीं, झामुमो ने मिथिलेश ठाकुर (ब्राह्मण), बेबी देवी (कुर्मी), हफीजुल हसन (मुस्लिम), दीपक बिरुआ (अनुसूचित जनजाति) और बैद्यनाथ राम -अनुसूचित जाति को जगह दी है।
इतना ही नहीं, राज्य के इन 11 मंत्रियों के सहारे राज्य के सभी 24 जिलों को कवर करने का प्रयास किया है। भले ही मंत्री 11 है, लेकिन हेमंत सोरेन को मिलाकर कुल 12 मंत्री 24 जिलों की निगरानी कर सकेंगे। अब यह देखना है कि हेमंत सोरेन की यह राजनीतिक व्यूह रचना कितनी कारगर होती है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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