18वीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया। NDA ने 14 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। अब चुनाव जीतने के रणनीति और बैठकों का दौर 81 विधानसभा क्षेत्र में शुरू हो चुका है।
अब झारखंड में इंडिया घटक दल में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की बात करते हैं। झारखंड में 14 लोकसभा सीट में राजद दो सीटों की मांग पर अड़ी है। ये सीट है चतरा और पलामू। अब पिछले तीन लोकसभा चुनाव 2009, 2014, और 2019 के आंकड़ों पर गौर करें तो तस्वीर कुछ अलग दिखाई पड़ रही है। राष्ट्रीय जनता दल 2009 के लोकसभा चुनाव में चतरा से नागमणि कुशवाहा को सिर्फ 68, हजार 764 वोट मिले थे।राजद उम्मीदवार चुनाव हार गई और सिर्फ 14.51% वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने झारखंड से कोई भी प्रत्याशी नहीं उतारे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर चतरा से आरजेडी के टिकट पर सुभाष यादव चुनाव लड़ें लेकिन हार गए। गौरतलब है कि झारखंड में आरजेडी का चतरा में वोट प्रतिशत भी घटा है। 2009 में चतरा में 14.5% योट मिले थे।
वहीं 2019 में 9.01% वोट मिले थे। वहीं दूसरी तरफ 2019 के विधानसभा चुनाव में RJD के सात उम्मीदवारों में सिर्फ एक चतरा सीट पर जीत हासिल हुई थी। अब सवाल ये उठता है कि लोकसभा चुनाव में दो सीटों की दावेदारी क्यों? वहीं झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की भी कहते हैं कि राजनीति में जिद करना नहीं चाहिए। इंडिया घटक दल में रहते हुए आरजेडी को गठबंधन धर्म निभाना चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता डॉ मनोज कहते हैं कि सीट शेयरिंग में कोई समस्या नहीं है । झारखंड में आरजेडी से कितना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा जाएगा ये तय करेंगे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद।
रांची से अंजनी कुमार की रिपोर्ट
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