अडाणी समूह पर हुए हमले को किया विफल – गौतम अडाणी

The attack on Adani Group was foiled – Gautam Adani

हमें अतीत में जीना नहीं चाहिए, लेकिन उससे सीख लेते हुए निरंतर आगे बढ़ना चाहिए। आज का दिन भी ऐसा ही मौका है। ठीक एक साल पहले न्यूयार्क स्थित शार्ट सेलर फर्म ने तथाकथित शोध रिपोर्ट पेश करते हुए अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों का संकलन सार्वजनिक किया था। संकलन इसलिए कहा क्योंकि उसमे उल्लिखित तमाम आरोप, हमारे विरोधी समय-समय पर पहले भी लगाते रहे थे। कुल मिलाकर, यह प्रकट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी से प्राप्त चुनिंदा अर्धसत्यों का एक चालाकी से तैयार किया गया मसौदा भर ही था। इन आरोपों को सिरे से खारिज कर हमने त्वरित प्रतिक्रिया दी लेकिन हमारी प्रतिक्रिया पर इस बार तथ्यहीन आरोप हावी हो रहे थे। शेयर बाजार और राजनीतिक बयानबाजी ने हमें कुछ ही समय में मामले की गंभीरता का अहसास करा दिया था।

शॉर्ट-सेलिंग हमलों का प्रभाव आम तौर पर वित्तीय बाजारों तक ही सीमित होता है। लेकिन यह एक अनोखा द्वि-आयामी हमला था – एक वित्तीय और दूसरा राजनैतिक।  दोनों क्षेत्रों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ा | मीडिया में कुछ लोगों की सहायता और प्रोत्साहन से हमारे खिलाफ झूठ इतना प्रभावी था कि हमारे पोर्टफोलियो की जमीनी वास्तविकतायें धूल धूसरित होती महसूस हो रही थीं। ऐसा इसलिए था क्योंकि आमतौर पर पूंजीबाजार तर्कसंगत से अधिक भावनात्मक होते हैं।

मुझे अधिक चिन्ता इस बात की हो रही थी कि हजारों छोटे निवेशकों अपनी बहुमूल्य बचत खो रहे थे। साथ ही, देश के लिहाज से भी चिंता का विषय यह था कि यदि हमारे विरोधियों की योजना पूरी तरह से सफल हो जाती तो डोमिनो प्रभाव (एक के प्रभाव से दूसरे का गिरना) से बंदरगाहों, हवाई अड्डों से लेकर बिजली उत्पादन-आपूर्ति श्रृंखला तक कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की संपत्तियों को नुकसान पहुंच सकता था। यह किसी भी देश के लिए एक भयावह स्थिति ही होती। लेकिन ईश्वर की कृपा और तमाम साथियों की सामूहिक कोशिशों से हम इस संकट से उभरे और मजबूत स्थिति में पहुंच गए। इस मुश्किल वक्त में वित्तीय निवेशक, ऋणदाता और रेटिंग एजेंसी सहित वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ, इस झूठ की सुनामी में भी पूरी ताकत से हमारे सच की पतवार को थामे रहे। इसकी वजह यह थी, उन्हें कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति एवं गवर्नेंस की गहराई से जानकारी थी।

लिहाजा, हमने दशकों से अपनाई पारदर्शी तथ्य और सत्य पर आधारित कार्यपद्धति को ही रणनीति का आधार बनाया। हमारा पहला निर्णय अपने निवेशकों की सुरक्षा करना था। 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ पूरा सब्सक्राइब हो जाने के बाद भी हमने वह राशि निवेशकों को वापस लौटाने का फैसला लिया। दुनिया के कॉर्पोरेट इतिहास में अभूतपूर्व इस कदम ने निवेशक कल्याण और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

इस युद्ध के कुहासे भरे माहौल में हमारा सबसे बड़ा हथियार नकद पूंजी की पर्याप्त उपलब्धता भी थी। हमारे मजबूत नकदी भंडार में 30 हजार करोड़ रुपये थे।  इसके अलावा, कंपनियों हमने अपनी हिस्सेदारी को घटाकर अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये जुटाए, इससे हमारी वित्तीय स्थिति और मजबूत हुई। यह राशि अगले दो वर्षों के लिए कर्ज चुकाने के बराबर थी। इसके लिए हमारी मदद वित्तीय बाज़ार में विश्वस्तरीय बेदाग़ वित्तीय संस्था जैसे जीक्यूजी पार्टनर्स और क्यूआईए ने की। ऐसी संस्थाओं का साथ मिलने से बाकी वित्तीय संस्थानों का भरोसा हमारे प्रति बढ़ा।

बैंकों को मार्जिन-लिंक्ड फाइनेंसिंग के 17 हजार 500 करोड़ रुपये का प्री-पेमेंट करके कंपनी के शेयरों को बंधन मुक्त कर हमने अपने पोर्टफोलियो को बाजार की अस्थिरता से बचाया और रिंग-फेंस किया।इन विपरीत परिस्थितियों से निपटने की जिम्मेदारी स्वयं पर लेते हुए मैंने अपने साथियों को स्पष्ट तौर से  व्यवसायों के संचालन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। वह किस कदर सफल भी रहे इसका अंदाजा इस बात से लगायें कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 47% की रिकॉर्ड तोड़ मुनाफे में वृद्धि हुई। साथ ही अडाणी पोर्टफोलियो ने वित्त वर्ष  की तीसरी तिमाही में भी अपना अब तक का सबसे अधिक लाभ दिया। इससे साफ जाहिर हो रहा था कि हम ठीक दिशा में आगे जा रहे हैं।

हमने अपने वित्तीय और गैर-वित्तीय हितधारकों के लिए एक व्यापक जुड़ाव कार्यक्रम भी चलाया। अकेले वित्तीय टीम ने शुरुआती 150 दिनों में दुनिया भर में करीब 300 बैठकें कीं, जिससे नौ रेटिंग एजेंसियों द्वारा 104 संस्थाओं की रेटिंग की पुष्टि सुनिश्चित की गई। बैंक, निश्चित आय निवेशक,  वेल्थ फंड, इक्विटी निवेशक, जेवी पार्टनर और रेटिंग एजेंसियां हमेशा से हमारे प्रमुख हितधारक रहे हैं, क्योंकि उनके द्वारा की गई व्यापक जांच और सूक्ष्म समीक्षा ही हमारी पारदर्शी कार्य व्यवस्था को रेखांकित और मजबूत करती है। हमने तथ्यों को पारदर्शी ढंग से रखने और हम पर हमला करने वालों के इरादों को उजागर करने के प्रकरण में अपना पक्ष बताने पर भी पूरा ध्यान केंद्रित किया। इससे हमारे समूह के खिलाफ नकारात्मक अभियानों का प्रभाव कम हो गया। सार्वजनिक धारणा में बदलाव का एक प्रमाण हमारे शेयरधारक आधार में महत्वपूर्ण वृद्धि है, जो फॉलो-ऑन सार्वजनिक पेशकश (Follow -On Public Offering) का प्राथमिक लक्ष्य था। इस चुनौतीपूर्ण वर्ष में, हमारे शेयरधारकों में 43% की वृद्धि हुई, जो लगभग 70 लाख तक पहुंच गई है।

हम अभी भी अपनी विकास गति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समूह ने अपना निवेश जारी रखा, जिसका प्रमाण हमारी परिसंपत्ति आधार में 4.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि है। इस अवधि में दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन साइट खावड़ा में काम शुरु हुआ और इसके साथ ही एक नया कॉपर स्मेल्टर, ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट सहित बहुप्रतीक्षित मुंबई की धारावी का पुनर्विकास कार्यक्रम पर भी काम शुरु हुआ।

इस संकट ने हमारी एक बुनियादी कमज़ोरी को उजागर किया था कि हमने अपनी क्षमता और कार्य को आम जन तक नहीं पहुंचाया था। हमें समझ आया कि वित्तीय क्षेत्र से बाहर आम लोगों को यह पता ही नहीं है कि हमारा बुनियादी ढांचा कितना मजबूत है या अडाणी समूह ने अब तक क्या किया है या क्या कर रहा है? इसके आकार, पैमाने और गुणवत्ता के बारे में हम इस भुलावे में थे कि समाज में सभी गैर-वित्तीय हितधारक भी हमें और हमारी सच्चाई को जानते हैं। वह यह जानते ही होंगे कि हमारी वित्तीय स्थिति मजबूत है, हमारी कार्य प्रणाली त्रुटिहीन है, विकास के लिए हमारा रोडमैप स्पष्ट है और भारत के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण में हम महती भूमिका निभा रहे हैं।

खैर! इस अनुभव ने हमारे गैर-वित्तीय हितधारकों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया। हमारे ऊपर कई तथ्यहीन आरोप थे जैसे, हमारी कंपनियों की क्षमताओं के अनुपात में कर्ज बहुत ज्यादा है। जबकि वास्तविकता ये है कि हमारा कर्ज, हमारी समकक्ष कंपनियों की तुलना में कम है। इसके अलावा यह भी आक्षेप थे कि किसी राजनीतिक दल विशेष का संरक्षण, हमारी सफलता का कारण है। लेकिन सच ये है कि हमारा समूह अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा शासित 23 राज्यों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और यह तभी संभव है जब हम राजनीतिक रूप से निरपेक्ष है। बहरहाल, हमने अपने गैर वित्तीय संवाद पर भी ध्यान दिया और उसके बेहतर परिणाम भी दिखने लगे है।

निःसंदेह, पिछले एक वर्ष के घटनाक्रम ने हमें मूल्यवान सबक तो दिये है साथ ही हमें मजबूत भी बनाया। मुझे अपनी सीख आप सभी से साझा करना इसलिये आवश्यक लगा क्योंकि आज मैं निशाने पर हूं कल कोई और भी ऐसे षडयंत्र का शिकार हो सकता है।

लेकिन हम संकल्पबद्ध हैं। राष्ट्र विश्व पटल पर विकास के नए सोपान तय कर रहा है। अपने सभी साथियों की ओर से बड़ी विनम्रता के साथ यह कहना चाहता हूं कि राष्ट्र निर्माण के इस यज्ञ में हम अपने उच्च नैतिक मूल्यों ,पारदर्शी कार्यप्रणाली और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के उपक्रमों के माध्यम से आहूति देने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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