INDI Alliance Mission 2024: विपक्षी इंडी गठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस को दूसरी पार्टियों की तुलना में ज्यादा सीटें चाहिए। लेकिन कांग्रेस एक बात बात अब तक नहीं समझ पा रही है कि उसके जितने राजनीतिक स्वार्थ हैं उतने राजनीतिक स्वार्थ गठबंधन की दूसरी पार्टियों के भी हैं। तो इस लिहाज से अपनी सहयोगी पार्टियों से कांग्रेस की नाराजगी किसी भी मायने में उचित नहीं है। जैसा कि गुरुवार को पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन सीटें नहीं देने या कम देने पर ममता सरकार पर बिफर पड़े थे। कांग्रेस बार-बार यही उम्मीद कर लगातार बैठकें कर रही है कि किसी भी तरह से शीट शेयरिंग पर बात बन जाये और उसे ज्यादा सीटें मिल जाये। सीट शेयरिंग पर उसकी जल्दीबाजी इसलिए भी है, क्योंकि 14 जनवरी से राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में व्यस्त हो जायेंगे। उनकी जब यह यात्रा खत्म होती तब तक लोकसभा चुनाव सिर पर आ खड़ा होगा। बहरहाल, कांग्रेस के एक-दो राज्यों में नहीं, कई राज्यों में कांग्रेस सीट शेयरिंग मुद्दे पर बात नहीं बन पा रही है।
पंजाब और बंगाल कांग्रेस को कर रहे दूर से सलाम
सीट बंटवारे को लेकर पंजाब और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस जितना हाथ-पांव मार ले, उसकी दाल नहीं गलने वाली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) किसी भी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के खिलाफ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले भी कह चुकी हैं कि कांग्रेस देश की राजनीति करे और हमें राज्य की राजनीति के लिए छोड़ दे। टीएमसी कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में एक भी सीट देने के पक्ष में नहीं है। मुश्किलों के साथ वह सिर्फ 2 सीट कांग्रेस को दे सकती है। यही हाल पंजाब में आप का है। आप संयोजक अरविन्द केजरीवाल इंडी गठबंधन के शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया था कि आप पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी। पंजाब में आप की राज्य इकाई भी शुरू से कांग्रेस को सीट दिये जाने के के खिलाफ है।
उत्तर प्रदेश में सपा बढ़ायेगी कांग्रेस की मुसीबत
यह तो सभी को पता है कि समाजवादी पार्टी (SP) को कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में विधानसभा में एक भी सीट नहीं दी थी। उससे सपा काफी नाराज है जिसका असर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर दिख सकता है। शुरू में तो अखिलेश यादव कांग्रेस को कोई भी सीट देने के मूड में नहीं दिख रहे थे, लेकिन बाद में नरमी दिखाते हुए राज्य में 8-10 सीटें दे सकते हैं। क्योंकि सपा ने उत्तर प्रदेश में 58 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है। फिर सहयोगी पार्टियों को कुछ सीटें देने के बाद इससे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिलना सम्भव भी नहीं है।
महाराष्ट्र और बिहार में क्या होगा कांग्रेस का हाल?
महाराष्ट्र में भी सीट बंटवारे को लेकर अघाड़ी के दलों के साथ कांग्रेस की तकरार चल रही है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने कांग्रेस को सीट बंटवारे पर शून्य से चर्चा के लिए कहा था। जबकि प्रदेश कांग्रेस खुद को महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी मानते हुए ज्यादा सीटें चाहती है। दूसरी तरफ बिहार में जब राज्य की दो प्रमुख पार्टियों ने अपने लिए 16-16 सीटें आरक्षित कर रखी हैं तो फिर आप ही सोचिये, कांग्रेस के हाथ कितनी सीटें आ सकती है, जबकि बिहार में कांग्रेस 8-10 सीटें चाहती है, जो कि किसी भी रूप में सम्भव नहीं है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) दोनों कांग्रेस को 5 सीटें देना चाहती हैं।
झारखंड तो झामुमो ही रहेगा ‘बड़ा भाई”
अब थोड़ी बात झारखंड की कर लें। झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं। कांग्रेस यहां झामुमो की तुलना में ज्यादा सीटें चाहती है। लेकिन आज झामुमो का राज्य में जो दबदबा है, उसको देखते हुए यही लगता है कि झामुमो ही बड़े भाई की भूमिका में रहेगा। कांग्रेस 14 जनवरी से जो ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू करने वाली है, उसने झारखंड में अपने लिए 8 सीटों का लक्ष्य रखा है। यानी अगर बाकी की सारी सीटें झामुमो को दे दी जायें तो इसका मतलब हुआ ‘बड़े भाई’ को सिर्फ छह सीटें? जबकि राजद भी झारखंड में गठबंधन की एक पार्टी है।
कांग्रेस को चाहिए कहां-कितनी सीटें?
- उत्तर प्रदेश -15-20 सीटें (कुल सीटें-80)
- महाराष्ट्र – 16-20 सीटें (कुल सीटें-48)
- बिहार – 6-8 सीटें (कुल सीटें-40)
- पश्चिम बंगाल – 6-10 सीटें (कुल सीटें-42)
- झारखंड – 8 सीटें (कुल-14 सीटें)
- दिल्ली – 3 सीटें (कुल सीटें-7)
- पंजाब – 6 सीटें (कुल सीटें-13)
- तमिलनाडु – 8 सीटें (कुल सीटें-39)
- केरल – 16 सीटें (कुल सीटें-20)
- जम्मू-कश्मीर – 2 सीटें (कुल सीटें-5)
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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