इतनी शालीनता के साथ राजनीतिक संन्यास! राजनीति में नहीं मिलते ऐसे उदाहरण

Political retirement with such decency! Such examples are not found

पहली बार राजनीति में इतनी शालीनता दिखी है। पार्टी ने इशारा किया और खुद को चुनावी समर से दूर कर लिया। जी हां, बात कर रहे हैं हम क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर की और हजारीबाग से दो बार के सांसद रहे जयंत सिन्हा की। इन दोनों सांसदों को पार्टी की ओर से एक इशारा मिला और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का मन बनाते हुए सोशल मीडिया पर इसका ऐलान भी कर दिया। हो सकता है, आने वाले समय में ऐसे और भी उदाहरण मिलें। क्योंकि भाजपा कभी भी अपने लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दे।

ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। पिछले ही कुछ दिनों के राजनीतिक हालात पर ही नजर दौड़ा लें तो यह बात अपने आप स्पष्ट हो जाएगी कि राजनीति में सहनशीलता और संवेदनशीलता बिल्कुल ही नदारद हो गयी है। चुनाव आया नहीं कि राजनीतिक भगदड़ मचनी शुरू हो जाती है। इस बार भी हो रहा है। कोई कांग्रेस छोड़ रहा है, कोई सपा छोड़ रहा है, भाजपा से भी जाने वाले इस लिस्ट में हैं। क्योंकि सबके एक ही ध्येय हैं कि किसी तरह से सबसे पहले तो टिकट मिल जाये और उसके बाद चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच जाया जाये। राजनीतिक लोलुपता इतनी प्रबल है कि अपने पार्टी आलाकमान तक की हुक्म उदूली बिलकुल आम हो गयी है।

भाजपा में आज जो हुआ, यह बड़ा उदाहरण है। कम से कम तो राजनीति में ऐसे उदाहरण देखने को नहीं मिलते। हालांकि यह कहना अभी जल्दीबाजी होगी कि भाजपा जैसे-जैसे लिस्ट जारी करेगी, वैसे-वैसे भाजपा में कितनी शांति बनी रहेगी। लेकिन आज जिस तरह के दो उदाहरण सामने आसे हैं, वह दिल को सुकून देते हैं। वैसे, भाजपा में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि शीर्ष नेतृत्व के कठोर निर्णय के बाद भी पार्टी में शांति बनी रही। अभी हाल में विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों पर भाजपा ने जो फैसले लिए और उसके बाद जो शान्त राजनीतिक हालात बने रहे उससे यह कहना होगा कि भाजपा वास्तव में एक अनुशासित पार्टी है।

खैर, भाजपा के कुछ नेता ऐसा उदाहरण प्रस्तुत नहीं कर पायेंगे, यह तो उम्मीद है, लेकिन आज जो दो उदाहरण सामने आये हैं, उस पर कम से कम भाजपा को तो गर्व होना चाहिए।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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