New Criminal Laws : एक जुलाई से देश में लागू होंगे नए आपराधिक कानून, जानें क्या -क्या बदलेगा?

New Criminal Laws : ‘420’ जिसे सुनते ही हर कोई इसके मायने समझ जाता था, वह अब पुराने पड़ जाएंगे. हत्या जिसका मतलब धारा 302 और धोखाधड़ी मतलब धारा 420 जो लगभग सभी की जुबान पर होते थे. लेकिन अब एक जुलाई से हत्या का मतलब धारा 302 नहीं, बल्कि धारा 103 और धोखाधड़ी का मतलब धारा 420 नहीं, बल्कि धारा 316 हो जाएगा.

दरअसल अपराध और न्याय प्रणाली से जुड़े भारत के 3 कानूनों में बड़ा बदलाव किया गया है. अब ब्रिटिशकाल से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता यानी IPC में  भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता CrPC में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं. अब इन कानूनों के नए नाम भी होंगे. जिनमें भारतीय कानून संहिता.भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता नए नाम हो जाएंगे.

बता दें कि 1858 में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1860 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) लागू की गईं.  इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था.  सीआरपीसी में समय-समय पर बदलाव भी हुए थे.  जबकि आईपीसी में ज्यादा तब्दीली नहीं आई थी.  आईपीसी में 511 धाराएं थीं.  लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं. आपराधिक कानून में बदलाव (New Criminal Laws) के साथ ही इसमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल जाएगा. उधर विपक्षी दलों के कुछ और नेताओं ने इन नए आपराधिक कानूनों को लागू किए जाने का विरोध करना शुरू कर दिया है. इससे इन्कार नहीं कि तीनों नए आपराधिक कानूनों (New Criminal Laws) को लागू करने के क्रम में  अनेक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है.

क्या हैं प्रावधान 

भारत की संप्रभुता या अखंडता को खतरे में डालने वाले किसी भी व्यक्ति को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. वहीं, मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म में शामिल लोगों को अधिकतम मौत की सजा दी जा सकती है.  हत्या के जुर्म के लिए सजा-ए-मौत या आजीवन कारावास की सजा होगी. दुष्कर्म में शामिल लोगों को कम से कम 10 साल की जेल या आजीवन कारावास की सजा होगी और सामूहिक दुष्कर्म के लिए कम से कम 20 साल की कैद या उस व्यक्ति के शेष जीवन के लिए कारावास की सजा होगी.

किसी महिला की बलात्कार के बाद मृत्यु या इसके कारण महिला लगातार बेहोशी  की स्थिति में दोषी को 20 वर्ष कारावास का प्रावधान है , जिसे आजीवन कारावास के लिए बढ़ाया जा सकता है.

 विशेष  प्रावधान

नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो. जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजा जाना अनिवार्य होगा. जिरह अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से की जाएगी.

यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी. सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास. नाबालिग से बलात्कार की सजा में मौत की सजा शामिल है. एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी. न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी.

सात साल या उससे अधिक की सजा के मामलों में फॉरेंसिक जांच होगी. मॉब लिंचिंग के मामलों में सात साल की सजा होगी.

आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा.सुनवाई के समापन के बाद 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा।

फैसला सुनाए जाने के सात दिन के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा. तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी.

सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा.

बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को सात साल से बढ़ाकर 10 साल की जेल  तक का प्रावधान है. मृत्युदंड की सजा को कम करके अधिकतम आजीवन कारावास में बदले जा सकने का प्रावधान है, वहीं आजीवन कारावास की सजा को कम करके अधिकतम सात साल के कारावास में बदला जा सकता है और सात साल की सजा को तीन साल के कारावास में बदला जा सकता है. किसी भी अपराध में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी.

इसके अलावा नए कानून में भगोड़े अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सख्त प्रावधान किया गया है. अब फरार अपराधी की गैर मौजूदगी में कोर्ट में ट्रायल भी हो सकेगा,पहले सीआरपीसी के तहत 19 अपराधों में ही भगोड़ा घोषित किए जाने का प्रावधान था, लेकिन अब 120 अपराधों में भगोड़ा घोषित करने का प्रावधान किया गया है. 10 साल या उससे अधिक आजीवन कारावास या मौत की सजा वाले अपराधों में फरार व्यक्ति को घोषित अपराधी घोषित किया जाएगा. घोषित अपराधियों के लिए भारत के बाहर विदेशों में स्थित उनकी संपत्ति की पहचान, कुर्की और जब्ती के लिए एक नया प्रावधान बनाया गया है.

न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार 

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