Chaitra Navratri 2024: भारतीय नववर्ष की शुरुआत मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हो रही है। इसी के साथ विक्रम संवत् 2081 की शुरुआत हो जायेगी। नवसंवत्सर वह दिन है जिससे भारत वर्ष की कालगणना की शुरुआत मानी जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी।
चैत्र नवरात्रि में कब कर सकते हैं घट स्थापना
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना का विशेष विधान है। इस दिन से नौ दिन तक भक्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से 17 अप्रैल 2024 तक रहेगी। इस साल मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व है। यही नहीं, घट स्थापना में मुहूर्त का विशेष ध्यान दिया जाता है। तो घट स्थापना से पहले उसका मुहूर्त जान लेना बेहद जरूरी है। इस वर्ष अश्विनी नक्षत्र में प्रात: 6.11 बजे से लेकर 10.23 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बन रहा है। अश्विनी नक्षत्र और मंगलवार पड़ने के कारण विशेष योग अमृतसिद्धि का निर्माण हो रहा है, जो कि इस तिथि को और भी विशेष बना रहा है। वहीं अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो यह इस दिन दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में किस भी तरह कोई शुभ कार्य किया जा सकता है। मान्यता है इन नौ दिनों माता की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना
- प्रथम दिन- कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है।
- दूसरा दिन- माता ब्रह्मचारिणी की आराधना।
- तीसरा दिन- माता चंद्रघंटा की पूजा।
- चौथा दिन- मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना।
- पांचवां दिन- माता स्कंदमाता की पूजा।
- छठा दिन- माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना।
- सातवां दिन- माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना।
- आठवां दिन- मां महागौरी की पूजा का विधान।
- नवां दिन- नवरात्रि का नौवां दिन माता सिद्धिदात्री का है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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Chaitra Navratri 2024