राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने भाजपा सरकार को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। नागपुर में आरएसएस नेताओं और प्रशिक्षुओं के एक समूह को संबोधित करते हुए भागवत ने यह बयान दिया है। परन्तु यह बयान भाजपा सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। पहले यह जान ले कि मोहन भागवत ने कहा क्या है।
मोहन भागवत ने कहा- ‘एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा। पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया, ऐसा लगा। और अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है।‘
इसके साथ ही मोहन भागवत ने आज की चुनाव प्रणाली पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि ‘चुनाव आम सहमति बनाने की एक प्रक्रिया है. एक व्यवस्था है, ताकि किसी भी सवाल के दोनों पक्षों को समान विचारधारा वाली संसद में प्रस्तुत किया जा सके. बेशक, प्रतिस्पर्धा के बाद वहां पहुंचे लोगों के बीच ऐसी आम सहमति बनाना मुश्किल है. इसलिए हमें बहुमत पर निर्भर रहना पड़ता है. पूरी प्रतिस्पर्धा इसी के लिए है, लेकिन यह एक प्रतिस्पर्धा है, युद्ध नहीं।‘
मोहन भागवत का यह बयान सीधा-सीधा भाजपा सरकार को ही कठघरे में खड़ा करता है। लोकसभा चुनाव के बाद मोहन भागवत का यह बयान के इतने ही मायने नहीं है। यह बयान बहुत कुछ कह रहा है। भाजपा और संघ के रिश्ते को देखा जाये तो इनमें नजदीकियां थोड़ी कम हुई है। कम से कम हाल के लोकसभा चुनाव से इसे समझा जा सकता है। संघ विशेषकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में मजबूत है। भाजपा की तरह संघ कैडर संगठन है और भाजपा के लिए वोटरों को घर से निकालने के लिए वर्षों से विख्यात है। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में संघ का प्रयास शायद कम दिखा। जिसका नतीजा भाजपा को कई सीटों पर हार के रूप में देखना पड़ा है।
एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा। पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया, ऐसा लगा। और अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है। -… pic.twitter.com/9VHzw8h5jE
— RSS (@RSSorg) June 10, 2024
खैर, अगर हम इसे सिर्फ अनुमान भी मान लें तो भी पिछले कुछ वर्षों में भाजपा और संघ में कुछ दूरियां बढ़ी हैं, उसका असर संघ प्रमुख के बयानों में भी दिखा है। 2023 के विधानसभा चुनावों के समय भी संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर एक बयान दिया था, जिसका असर चुनावों पर पड़ गया और भाजपा को चुनावों में झटका लगा था।
क्या है मणिपुर की समस्या?
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में इम्फाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतेई लोगों और कुकी जनजाति के बीच हिंसक झड़प चल रही है। अब तक इस हिंसक झड़प में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं। दरअसल, यह विवाद भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए मैतेई लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग से जुड़ा है। ऐसा होने केबाद उन्हें आदिवासी समुदायों के बराबर विशेषाधिकार प्राप्त हो जायेगा। मैतेई समुदाय की इसी मांग का आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़प जारी है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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