Loksabha Election: देश में आज से आचार संहिता लगते ही बदल जाएंगे ये नियम, जानिए सबकुछ

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Loksabha Election: चुनाव आयोग आज देश के ‘चुनावी महाकुंभ’ की तारीखों का ऐलान करने जा रहा है। लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जाएगी। आदर्श आचार संहिता के मुताबिक, मंत्री और अन्य सरकारी अधिकारी किसी भी रूप में वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकते। किसी भी परियोजना या योजना की घोषणा नहीं की जा सकती है जिसका प्रभाव सत्ता में पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करने वाला हो, और मंत्री प्रचार उद्देश्यों के लिए आधिकारिक मशीनरी का उपयोग नहीं कर सकते हैं। भारत 18वें लोकसभा के चुनाव के लिए तैयारी कर रहा है, जिसका कार्यक्रम आज घोषित होगा। जानिए आदर्श चुनाव संहिता से संबंधित हर सवाल का जवाब जो आप जानना चाहते हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान आज दोपहर 3 बजे किया जाएगा। इसकी जानकारी खुद चुनाव आयोग की तरफ से सोशल मीडिया एक्स हैंडल के जरिए दी गई। चुनाव आयोग की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने बताया कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी।

    1. क्‍या है आदर्श आचार संहिता ?
      देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है।

     

    1. आचार संहिता कब लागू होती है?
      आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। देश में लोकसभा के चुनाव हर 5 साल पर होते हैं। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होते रहते हैं। चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रमों का ऐलान करते ही आचार संहिता लागू हो जाती है।

     

    1. आचार संहिता कब खत्म होती है?
      आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है। चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है।

     

    1. क्या हैं चुनाव आचार संहिता के नियम?
      चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं। इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता।सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा, सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा, किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा, किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी, किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।

     

    1. क्‍या मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार के साथ मिला सकते हैं?
      मंत्री ऐसा नहीं कर सकते हैं।

     

    1. क्‍या सरकारी वाहन को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है?
      विमान, वाहनों इत्‍यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या अभ्‍यर्थी के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।

     

    1. क्‍या सरकार चुनाव कार्य से संबंधित पदाधिकारियों का स्‍थानांतरण और तैनाती कर सकती है?
      चुनाव से प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के स्‍थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्‍थानांतरण या तैनाती आवश्‍यक मानी जाती है तो आयोग की पूर्व-अनुमति ली जाएगी।

     

    1. क्‍या मंत्री आधिकारिक वाहन के हकदार होंगे?
      मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा बशर्ते इस प्रकार के सफर को किसी निर्वाचन प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए।

     

    1. क्‍या राजनीतिक कार्यकर्ताओं के निवास स्‍थान पर इफ्तार पार्टीया ऐसी ही कोई अन्‍य पार्टी आयोजित की जा सकती है जिसका खर्चा सरकारी कोष से किया जाएगा।
      नहीं। अपनी निजी क्षमता और अपने निजी निवास स्‍थान पर ऐसी पार्टी का आयोजन करने की स्‍वतंत्रता है।

     

    1. क्‍या सत्ताधारी पार्टी की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धियों के संबंध में सरकारी कोष की लागत पर विज्ञापन जारी करने पर कोई प्रतिबंध है ?
      हां। निर्वाचन अवधि के दौरान प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी कोष की लागत पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्‍पर्क मीडिया के दुरूपयोग पर निषेध है।

     

    1. क्या जनसभा आयोजित करने या जुलूस निकालने पर कोई प्रतिबंध है?
      किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति लेनी चाहिए।

     

    1. क्या लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल करने के लिए कोई समय-सीमा है?
      रात 00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता है।

     

    1. वह कौन सी अंतिम समय-सीमा है जिसके बाद कोई जनसभा और जुलूस नहीं निकाला जा सकता है?
      जन सभाएं सुबह 00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्‍त, अभ्यर्थी मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्‍त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान जनसभाएं और जुलूस नहीं निकाल सकते। मान लीजिए, मतदान का दिन 15 जुलाई है और मतदान का समय सुबह 8 बजे से शाम 5.00 बजे तक है, तो जन सभा और जुलूस 13 जुलाई को शाम 5.00 बजे से बंद हो जाएंगे।

     

    1. क्या ओपिनियन पोल या एक्जिट पोल किसी भी समय आयोजित, प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित किए जा सकते हैं?
      किसी भी तरह से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, या किसी अन्य मीडिया द्वारा किसी भी जनमत सर्वेक्षण या एक्जिट पोल के परिणाम को प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा, जो निम्नलिखित अवधि के लिए मान्य होंगे।एक ही चरण में आयोजित निर्वाचन में मतदान समापन के निर्धारित घंटे के साथ समाप्त हो रही 48 घंटों की अवधि के दौरान और एक बहु स्तरीय निर्वाचन में, और विभिन्न राज्यों में एक साथ निर्वाचनों की घोषणा के मामले में, निर्वाचन के प्रथम चरण के मतदान के लिए निर्धारित अवधि के आरंभ होने से 48 घंटे आरंभ होने की अवधि के दौरान और सभी राज्यों में सभी चरणों के मतदान समाप्त हो जाने तक।

     

    1. क्या मतदान केंद्र में या उसके आस-पास प्रचार पर कोई प्रतिबंध है?
      मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोटों के लिए प्रचार करना निषिद्ध है।

     

    1. क्या मतदान केंद्र या उसके पास सशस्त्र जाने पर कोई प्रतिबंध है?
      मतदान के दिन मतदान केंद्र के आस-पास शस्त्र अधिनियम 1959 में परिभाषित किए गए किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है।

     

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