Modi 3.0: Jitan Ram Manjhi को कभी नीतीश कुमार ने बनाया था मुख्यमंत्री, अब मिल रही मोदी कैबिनेट में जगह

jitan ram manjhi narendra modi, Jitan Ram Manjhi, modi cabinet

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट में मंत्री बनने वाले हैं। मांझी गया लोकसभा सीट से चुनाव जीत संसद पहुंचे हैं। वे मई 2013 से फरवरी 2015 तक बिहार के सीएम भी रह चुके हैं। मांझी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी नेताओं में से एक हैं।

मांझी ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि प्रधानमंत्री आवास पर कार्यक्रम का हिस्सा बनूंगा। हम (एस) के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बताया कि गया और बिहार के लोगों के लिए खुशखबरी है। मांझी जी को सुबह फोन आया और बताया गया कि उन्हें मंत्री बनाया गयाहम सभी अभिभूत हैं। इससे बिहार के पूरे दलित समुदाय में एक बड़ा संदेश जाएगा।

नीतीश ने बनाया था मांझी को सीएम

नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही सरकार का मांझी के विधायकों ने विश्वास मत के दौरान समर्थन किया था। जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार मांझी बिहार की नीतीश सरकार में मंत्री हैं। दिलचस्प यह है कि लंबे समय से एनडीए से मोल-तोल करने की कोशिश कर रहे मांझी को आखिरकार केंद्र में मंत्री पद मिल गया है।

जीतन राम मांझी मुसहर समुदाय से हैं, जिसे अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और 2014 में सीएम के लिए नीतीश कुमार की आश्चर्यजनक पसंद भी जीतन राम मांझी ही थे। सीएम के तौर पर मांझी से उम्मीद की जा रही थी कि वे नीतीश के लिए सीट सुरक्षित रखेंगे, जिन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव में भारी हार के बाद गुस्से में इस्तीफा दे दिया था।

महादलितों को भी लाने में सफल रहे थे मांझी

मांझी के मुसहर समुदाय के लिए एक बड़ा क्षण था, जो राज्य के मतदाताओं का लगभग 2% है। यह केवल तीसरी बार था जब एक एससी नेता बिहार का सीएम बना था। 2014 के चुनावों में नीतीश को अपने मुख्य निर्वाचन क्षेत्र ओबीसी कोइरी और कुर्मी के अलावा ईबीसी और एससी वोटों को भी बरकरार रखने में सफलता मिली थी। मांझी महादलितों को भी अपने पक्ष में लाने में सफल रहे थे।

हालांकि, नीतीश कुमार ने बाद में यह कहा था कि मांझी को सीएम बनाने की वजह, उनका मुखर राजनेता न होना था। सिर्फ़ दो महीने में ही मांझी ने दिखा दिया कि वे जेडी(यू) नेता की छाया में रहकर संतुष्ट नहीं हैं, इतना ही नहीं नीतीश फरवरी 2015 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सीएम के तौर पर वापस आ गए। बदले में मांझी ने पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और कांग्रेस में शामिल हो गए।

2015 के विधानसभा चुनाव में मांझी को एक भी सीट नहीं मिली थी। मांझी महागठबंधन में चले गए, हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत ने एनडीए के किसी सहयोगी के लिए कुछ नहीं छोड़ा। गया के खिजरसराय के महकार गांव में जन्मे मांझी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही राजनीति में कदम रख दिया था, उनके भाई जो बिहार पुलिस में थे, उन्होंने उन्हें आर्थिक मदद की। वे 1980 में कांग्रेस से विधायक बने और 1985 में मंत्री बने। जब लालू प्रसाद के उदय के साथ कांग्रेस की किस्मत खराब हुई, तो वे कांग्रेस में शामिल हो गए। जनता दल और बाद में आरजेडी में शामिल हो गए। 2015 में वे नीतीश सरकार में मंत्री बने।

इसे भी पढें: कल्पना सोरेन सोमवार को लेंगी शपथ! झारखंड विधानसभा में होगा शपथग्रहण