Jharkhand Politics: रविवार को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन की झारखंड में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग पर बात हुई। बातचीत में जो बात निकल कर आयी है बात सकारात्मक हुई है। लेकिन यह बात किसके लिए सकारात्मक है, कांग्रेस या फिर झामुमो के लिए, यह पता नहीं चला है। लेकिन जो बात छन कर सामने आ रही है, उसमें कांग्रेस अब भी अपने आपको बड़े भाई की भूमिका में देख रही है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले भी कह चुके हैं कि बड़ा भाई तो झामुमो ही रहेगा। तो अगर बात सकारात्मक हुई है तो दोनों पार्टियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किसने किसको बड़ा भाई माना है।
पार्टियों के दावे अपनी जगह हैं, झारखंड में ज्यादा सीटों का दावा तो झामुमो का ही बनता है। क्योंकि झारखंड में कांग्रेस की तुलना में ताकत तो झामुमो का ही ज्यादा है। कम से कम विधानसभा सीटों से खुद की क्षमता का आकलन कांग्रेस कर ले। विधानसभा सीटों की तुलना में कांग्रेस की क्षमता झामुमो की लगभग आधी है। तो फिर लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों में बराबर सीटों का बंटवारा कैसे हो सकता है?
यह बात सीएम चम्पाई सोरेन भी अच्छी तरह से जानते हैं कि हेमंत सोरेन सीटों की बात पर कांग्रेस को बराबरी का दर्जा देने के पक्ष में कभी नहीं रहे हैं। चूंकि चम्पाई सोरेन हेमंत सोरेन की ही नीतियों पर आगे बढ़ रहे हैं, इसलिए उनका कोई भी फैसला झामुमो के ही पक्ष में ही होगा। यह बात कांग्रेस को भी अच्छी तरह से समझ आनी चाहिए कि अभी तक उसकी दाल किसी भी राज्य में नहीं गली है। तो नाहक झारखंड में ही अपनी दाल क्यों गलाना चाहती है? सार्थक सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर चुनाव लड़े, क्योंकि चाहे झामुमो जीते या कांग्रेस जीते दोनों पार्टियों की जीत गठबंधन के ही काम आएगी। हां, झामुमो और कांग्रेस की इस लड़ाई में नुकसान तो राजद और वाम दलों का होना तय है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: केजरीवाल ने कल्पना सोरेन को फोन कर कहा- हम हेमंत सोरेन जी के साथ पूरी तरह खड़े हैं
Jharkhand Politics