Jharkhand: राज्यसभा सीट के लिए झामुमो-कांग्रेस में छिड़ेगी रार! कांग्रेस को टिकट मिलना मुश्किल!

Jharkhand: JMM-Congress tussle for Rajya Sabha seat!

4 मार्च को निर्वाचन आयोग झारखंड की दो राज्यसभा सीटों के लिए अधिसूचना जारी करने वाला है। दो सीटों में एक सीट कांग्रेस के कोटे से और एक भाजपा के कोटे से खाली हो रही है। आगामी 3 मई को झारखंड कांग्रेस के धीरज साहू और भाजपा के समीर उरांव का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसलिए झारखंड से राज्यसभा की इन दो सीटों के लिए मतदान का ऐलान भी हो गया है। दोनों सीटों के लिए मतदान 21 मार्च को होना है।  4 मार्च को नामांकन की अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन की अंतिम तिथि 11 मार्च होगी। यानी इस बीच झारखंड की राजनीति पूरी तरह से गर्म होगी। ऐसा इसलिए कि कांग्रेस के कोटे से खाली होने वाली सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा इसको लेकर पूरी रस्साकसी होने वाली है।

झामुमो अपना कैंडिडेट राज्यसभा भेजने में सक्षम, कांग्रेस टिकट लेने के लिए अड़ी

झारखंड में विधानसभा की स्थिति है उसमें झामुमो के पास अपना कैंडिडेट अकेले के बूते पर राज्यसभा भेजने का संख्या बल है। लेकिन कांग्रेस चाह रही है कि चूंकि कांग्रेस के कोटे से सीट खाली हो रही है, इसलिए कांग्रेस का कैंडिडेट ही चुनाव में खड़ा होना चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा भी यह बात कर चुके हैं कि कांग्रेस के कोटे के बदले कांग्रेस कैंडिडेट को मौका मिलना चाहिए। जबकि सच्चाई यह है कांग्रेस अकेले के बूते अपना कैंडिडेट राज्यसभा नहीं भेज सकती है। ऐसे में गठबंधन की दोनों पार्टियों में खटपट होनी तय है।

झामुमो अपनी भूल की करना चाहेगा भरपाई!

गांडेय विधायक सरफराज अहमद से इस्तीफा दिलवाने की झामुमो जो भूल कर चुका है, उसकी वह भरपाई करना चाहेगा। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसने के वक्त सम्भावना को देखते हुए झामुमो ने गांडेय विधायक सरफराज से इस्तीफा दिलवा दिया था ताकि उस सीट से कल्पना सोरेन को उपचुनाव में उतार पर सीएम की कुर्सी पर बिठाया जा सके। लेकिन आंकलन में गड़बड़ा जाने के बाद यह दांव उल्टा पड़ गया। इसकी भरपाई अब एक ही तरीके से हो सकती है कि सरफराज अहमद को राज्यसभा भेज दिया जाये। झारखंड से अपना प्रत्याशी राज्यसभा भेजने में झामुमो सक्षम भी है।

कुल मिलाकर गणित कांग्रेस के पक्ष में नहीं दिख रहा है। क्योंकि कांग्रेस पर सिवाय यह कहने के कि उसके राज्यसभा सांसद के बदले उसकी पार्टी से ही उम्मीदवार खड़ा होना चाहिए। एक निर्दलीय को मुख्यमंत्री बनाने की ‘उदारता’ दिखाने वाली पार्टी का क्या ऐसी ही उदारता अपनी सहयोगी पार्टी से चाहती है?

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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