Jharkhand: बिहार की तर्ज पर हुई सीट शेयरिंग तो कांग्रेस को मिलेंगी 3-4 सीटें, झामुमो के हाथ आयेंगी 8 सीटें

Jharkhand: If seat sharing happens on the lines of Bihar, Congress will get 3-4 seats.

बिहार में इंडी गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। सीट बंटवारे में राज्य में सबसे बड़ी पार्टी राजद ने 26 सीटें अपने पास रखीं। कांग्रेस को 9 सीटें मिलीं तो CPI(ML), को 3,  CPI को 1 और CPI(M) को भी 1 सीट मिलीं। बिहार में जब इंडी गठबंधन में जदयू भी साथ था तब तक जो चर्चा चल रही थी, उसमें दोनों प्रमुख पार्टियों जदयू और राजद ने 17-17 सीटों पर दावा किया था। उस हिसाब से कांग्रेस के हाथ 5-6 सीटों से ज्यादा नहीं लगता। क्योंकि कुछ सीटें वाम दलों को भी देना था। लेकिन जब नीतीश कुमार के जदयू ने इंडी गठबंधन से नाता तोड़ लिया तब कांग्रेस को लगा कि उसे बिहार में अब ज्यादा सीटें मिल जायेंगी। लेकिन वैसा हुआ नहीं। सीट शेयरिंग की काफी जद्दोजहद और बैठकों के दौर के बाद जब सीटें फाइनल हुई तो कांग्रेस के हाथ 9 सीटें ही लगीं, वह भी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की मेहरबानी और कुछ शर्तों पर।

लालू ने सीट बंटवारे का क्या बनाया आधार?

यहां एक सवाल मन में आखिर उभरता है कि क्या राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपनी मनमानी का या उन्होंने कोई आधार बनाकर सीटों का बंटवारा किया। सवाल जितना टेढ़ा है, जवाब उनता ही आसान है। इसके लिए बिहार में चार साल पहले हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर दौड़ा लेंगे तो यह साफ हो जायेगा कि लालू प्रसाद ने पूरी ईमानदारी के साथ सीटों का बंटवारा किया है। बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में राजद ने 23.11 प्रतिशत वोटों के साथ 75 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 9.48 प्रतिशत वोटों के साथ 16 सीटें मिलीं। उसी प्रकार CPI (ML) को 3.6 प्रतिशत वोट और 12 सीटें मिलीं। CPI ने 0.83 वोट हासिल कर 2 और CPI (M) ने 0.06 वोट के साथ 2 सीटें जीतीं। अब इन पार्टियों को जो सीटें मिली हैं, उससे साफ हो जाता है कि लालू प्रसाद ने किस आधार पर सीटें आपस में बांटी है। हालांकि कांग्रेस की 19 सीटों की तुलना में 4 गुणा सीटें राजद ने जीतीं, फिर भी 3 गुणा सीटें ही उसने अपने पास रखीं। क्योंकि दूसरी पार्टियों से भी सीट शेयरिंग करनी थी। CPI (ML) को कांग्रेस के मुकाबले कम सीटें मिलीं। 12 सीटें जीतने का उसे कम से कम 5 सीटों का इनाम मिलना चाहिए थे। बाकी दोनों वाम दलों को 1 सीट से कम दिया नहीं जा सकता, इसलिए वे अपनी हिस्सेदारी से संतुष्ट ही होंगे।

बिहार की तर्ज पर बंट गयीं सीटें तो कांग्रेस का क्या होगा?

दूसरों राज्यों की तरह कांग्रेस झारखंड में भी अपने लिए ज्यादा सीटें मांग रही है। जिस तरह से बिहार में पिछला विधानसभा चुनाव उनकी सीट शेयरिंग का आधार बना है, अगर वैसा आधार झारखंड में भी अपनाया गया तो ज्यादा सीटें झामुमो को ही मिलना तय है। भले ही पिछले 15-20 दिनों से यह 7-5-1-1 का फॉर्मूला सुनने को मिल रहा है, लेकिन शायद ऐसा न हो। 7 यानी कांग्रेस, 5 यानी कांग्रेस, 1 यानी राजद फिर 1 यानी वाम दल।

अब झारखंड में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों पर एक नजर दौड़ा लें। इस चुनाव में झामुमो ने 18.72 प्रतिशत वोट के साथ सबसे ज्यादा 30 सीटें जीती हैं। कांग्रेस के वोट प्रतिशत 13.88 है और सीट संख्या 16. यहां यह भी याद रखना होगा कि कांग्रेस को 16 सीटें जीतने में झामुमो और दूसरी पार्टियों के वोटों का भी विशेष योगदान रहा है। फिर राजद को 0.38 वोट और 1 सीट और CPI (ML) को 0.37 वोट और 1 सीट मिले।

अब इस चुनाव परिणाम के आधार पर सीटों का बंटवारा हो तो क्या होगा? कांग्रेस से दोगुनी सीटें झामुमो को मिलनी चाहिए। उस हिसाब से कांग्रेस को अगर 4 सीटें मिलती हैं तो झामुमो को 8 सीटें मिलेंगी। इसके बाद की बची दो सीटों में से 1 राजद और 1 CPI (ML) के हाथ आयेंगी। यह बंटरबांट नहीं, बिलकुल न्याय संगत होगा।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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