Jharkhand: गांडेय में JMM की ‘कल्पना’ कितनी भर पायेगी उड़ान, कितनी है तैयारी!

Jharkhand: How far will JMM's 'imagination' fly in Gandey?

सीएम चम्पाई सोरेन की अध्यक्षता में शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों, सांसदों और प्रमुख नेताओं की बैठक में जो कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं, उसमें यह भी स्पष्ट हो गया कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन खाली हुई गांडेय सीट से उपचुनाव में उतरेंगी। कल्पना सोरेन का यह राजनीति में पहला कदम होगा। कल्पना सोरेन चुनावी मैदान में उतर रही हैं यह तो ठीक है, लेकिन झामुमो की उन्हें जिताने की तैयारी कितनी है, इस पर भी विचार करना होगा। यहां सिर्फ यही विश्लेषण पर्याप्त नहीं है कि झामुमो विधायक सरफराज अहमद यहां से विजयी रहे हैं। जिस समय सरफराज अहमद जीते और वर्तमान समय में जो राजनीतिक स्थिति है, उसका भी ध्यान रखना होगा। झामुमो का लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले उलगुलान महारैली करना एक बड़ा कदम है। इससे झामुमो के साथ गठबंधन की पार्टियों के पक्ष में माहौल बनेगा। इसका फायदा हो सकता है गांडेय चुनाव में कल्पना सोरेन को भी मिले।

क्या है गांडेय का चुनावी समीकरण?

गांडेय के चुनावी माहौल की समीक्षा करने से पहले 2019 में जब विधानसभा चुनाव हुआ था तब राजनीतिक दलों की स्थिति क्या थी, इसकी विवेचना भी कर लेनी चाहिए। 2019 के विधानसभा चुनाव में गांडेय क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति कुछ इस प्रकार थी-

  • डॉ सरफराज अहमद (झामुमो) 65,023
  • जय प्रकाश वर्मा (भाजपा) 56,168
  • अर्जुन बैठा (आजसू) 15,361
  • सुनील कुमार यादव (निर्दलीय) 9,900
  • कर्मिला टुडू (निर्दलीय ) 9,056
  • दिलीप कुमार वर्मा (जेवीएम-पी) 8,952
  • राजेश कुमार (सीपीआई(एमएल) 7,408
  • इन्तेखाब अंसारी (एआईएमआईएम ) 6,039
  • नोटा 3,734
  • ललिता रे (निर्दलीय) 2,076
  • अरुण प्रसाद वर्मा (निर्दलीय) 1,625

यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि उस चुनाव में भाजपा और आजसू अलग लड़े थे। अगर भाजपा और आजसू के ही मिले वोटों को जोड़ लिया जाये तो उस समय दोनों के साथ लड़ने की स्थिति में गांडेय सीट एनडीए के पास होती। यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम (पी) भी चुनाव लड़ी थी और उसने 9,056 वोट भी लाये थे। यह वोट भी पिछले वोट में बड़ा अंतर पैदा कर देता। तीन पार्टियों के संयुक्त वोटर्स भी उपचुनाव में अंतर पैदा कर सकते हैं। यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यह उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हो रहा है। गिरिडीह लोकसभा चुनाव में जिस भी पार्टी का वर्चस्व होगा, उसका सीधा असर भी गांडेय उपचुनाव पर पड़ेगा।

झामुमो कल्पना सोरेन को चुनावी मैदान में उतार रही है तो पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ हुई ‘नाइंसाफी’ का फायदा अवश्य उठाना चाहेगी। वैसे भी झामुमो हेमंत का चेहरा सामने रखकर ही चुनावी मैदान में उतरेगा। ‘आदिवासियों के साथ हो रही नाइंसाफी’ का मुद्दा लेकर जनता के बीच जायेगा। इसके अलावा झामुमो कुछ समय से यह प्रचारित कर रही है कि पिछली सरकारों ने राज्य के लिए कुछ भी काम नहीं किया। और झामुमो ने पिछले साढ़े चार साल में जो काम किया है, जो योजनाएं जनता के लिए लायी हैं, उन उपलब्धियों को लेकर भी वह जनता के बीच जायेगी। अब यह देखना है कि सरकार के इन प्रयासों का उसे कितना लाभ मिलता है। फिर गठबंधन के दलों के साथ चुनाव लड़ने का भी उसे फायदा मिल सकता है, इसकी उम्मीद है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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