लोकसभा चुनाव दिन-ब-दिन नजदीक आता जा रहा है। खरमास खत्म होने के बाद शायद भाजपा अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी न जारी कर दे। भाजपा तो पूरी तरह से तैयार, लेकिन इंडी गठबंधन अपने ‘मन की गांठें’ क्यों नहीं खोल पा रहा है? इंडी गठबंधन की शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक हालांकि वर्चुअली हुई। लेकिन इस बैठक में जो कुछ भी हुआ (यूं कहें जो कुछ नहीं हो पाया) आखिर उसके राजनैतिक मायने क्या हैं। इस बैठक का नतीजा भले ही यह रहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने का प्रस्ताव आया, लेकिन नीतीश कुमार ने संयोजक बनने से इनकार कर दिया। इनकार किस लिए किया, इसकी खबर अभी बाहर आनी शेष है, क्यों कि नीतीश कुमार को तो संयोजक बनाये जाने की चर्चा बहुत दिनों से चल रही थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि नीतीश कुमार ने अचानक इनकार कर दिया जबकि उनके सामने ही उन्हें संयोजक बनाये का प्रस्ताव आ चुका था।
इंडी गठबंधन की अधूरी बैठक
इस खबर पर आगे बढ़ने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि यह बैठक आधी अधूरी थी। मतलब इंडी गठबंधन की सभी पार्टियों के नेता इसमें शामिल नहीं थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के सपा प्रमुख अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना-उद्धव के उद्धव ठाकरे और एनसीपी-शरद के शरद पवार बैठक से नदारद थे। इन चारों नेताओं के बैठक से नदारद होने की वजह बेहद स्पष्ट है। ममता बनर्जी अपनी शर्तों पर राजनीतिक कर रही हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव सीट शेयरिंग पर कांग्रेस के रवैये से काफी नाराज हैं। उद्धव ठाकरे और शरद यादव तो महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीति से हैरान-परेशान हैं। क्योंकि उद्धव ठाकरे की पार्टी के बाद शरद पवार की पार्टी पर भी संकट मंडरा रहा है। इसका सीधा असर भी महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन के तालमेल पर दिख सकता है।
संयोजक के लिए लालू का नाम प्रस्तावित!
नीतीश कुमार ने संयोजक बनने से इसलिए भी इनकार किया होगा, क्योंकि वह यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि गठबंधन की सभी पार्टियों का समर्थन उन्हें हासिल नहीं है। उन्हें पता है कि अगर वह संयोजक का पद स्वीकार कर भी लेते तो गठबंधन की खटपट उन्हें बेचैन करती रहेगी। इसीलिए उन्होंने यह पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया। खबर तो यह भी आ रही है कि नीतीश ने संयोजक के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद का नाम प्रस्तावित कर दिया है।
नीतीश का इनकार लालू को कर रही होगी परेशान!
नीतीश के संयोजक नहीं बनने की खबर जैसे ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद तक पहुंची होगी, उन्हें जोर का झटका तो जरूर लगा होगा। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि वह नीतीश कुमार को संयोजक बनते हुए शुरू से देखना चाह रहे थे। मगर इसके पीछे उनकी मंशा यह थी कि नीतीश संयोजक बन कर केन्द्र की राजनीति मे चले जायें तो फिर तेजस्वी यादव के बिहार का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो जायेगा। लेकिन जहां तक अनुमान है नीतीश कुमार संयोजक बन भी जाते तो भी वह बिहार की कुर्सी नहीं छोड़ते। बिहार की कुर्सी वह सिर्फ एक ही शर्त पर वह छोड़ सकते हैं अगर ‘उससे बड़ी कुर्सी’ उन्हें मिल जाये…
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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