केजरीवाल कर सकते हैं ऐसा तो फिर हेमंत सोरेन भी तो चला सकते थे जेल से सरकार!

If Kejriwal can do this then Hemant Soren could also run the government!

शराब घोटाले में अरविन्द केजरीवाल के मामले में एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि या तो उनकी पार्टी आप किसी नियम को नहीं मानना चाहती या फिर संविधान के नियमों में जो व्यवस्ता दी गयी है उसका कैसे फायदा उठाया जा सके, उस पर वह ज्यादा केन्द्रित रहती है। लगातार समन मिलने के बाद जिस प्रकार केजरीवाल गिरफ्तारी से बचने के  लिए पैंतरेबाजी करते रहे, उस पर दिल्ली हाई कोर्ट कटाक्ष भी कर चुका है कि आप एजेंसियों का सामना करने से क्यों कतराते रहे? खैर, ये तो मामूली बातें हैं, अरविन्द केजरीवाल के बारे में यह खबर है कि वह जेल से ही सरकार चलायेंगे। तो सवाल यह उठता है कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है? आखिर संविधान में इसको लेकर क्या व्यवस्था है? क्योंकि इससे पहले ऐसा तो हुई ही नहीं है।

पहले यह बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ही मुख्यमंत्री रहेंगे। चाहे जेल से सरकार चलानी पड़ी तो चलाएंगे। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने भी कहा कि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे। वह जेल से सरकार चलाएंगे। आप के दूसरे नेताओं ने भी यही बात कही है।

क्या कहता है संविधान?

राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण का कहना है कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने के बाद अगर न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है तो यह सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन कर सकते हैं या नहीं? उनका यह भी कहना है कि जहां तक संवैधानिक नियम-कायदे जैसी बात है तो उनके ध्यान में ऐसा कोई मामला नहीं आता, जबकि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो। यानी संविधान इस बारे में कुछ बता पाने में स्पष्ट नहीं है। यह बात केजरीवाल जैसे कानून की गहरी जानकारी रखने वाले मुख्यमंत्री को तो पता होगी ही, इसीलिए उनकी पार्टी द्वारा यही कहा जा रहा है कि वह जेल से सरकार चलायेंगे। शायद उसके लिए उसने पहले से ही रणनीति बना रखी हो। लेकिन यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि केजरीवाल बार-बार एक बात का जिक्र अवश्य करते रहे हैं कि अगर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाये तो वह ईडी के सामने पेश होने को तैयार है। यानी गिरफ्तारी के मामले में कोई लोचा अवश्य है जिसे केजरीवाल जानते हैं। हो सकता है केजरीवाल वह नहीं कर सकें जैसे वह चाहते हैं।

फिर तो हेमंत सोरेन भी जेल से चला सकते थे सरकार!

यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जब अरविन्द केजरीवाल जेल से सरकार चलाने में समर्थ हैं तो फिर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी तो ऐसा कर सकते थे। फिर हेमंत सोरेन इंडी गठबंधन का हिस्सा भी रहे हैं और अरविन्द केजरीवाल से उनकी लगातार मुलाकातें होती रही हैं। दोनों पर एक ही साथ गिरफ्तारी की तलवार भी लटकी हुई थी। केजरीवाल जब कानून के अच्छे जानकार हैं तो फिर उन्होंने हेमंत सोरेन को वह सलाह क्यों नहीं दी जैसा वह करना चाहते हैं। हां, यहां एक अन्तर यह है कि केजरीवाल ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है, जबकि हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले अपना इस्तीफा सौंप दिया था। फिर भी लगता है कि केजरीवाल ने उन्हें किसी तरह की सलाह नहीं दी होगी, जैसा वह अपने लिए करना चाहते हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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