इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये किस पार्टी को कितना चंदा मिला है, लगभग इसका खुला हो चुका है। भाजपा को करीब 7000 करोड़ का चंडा चुनावी बॉन्ड से मिला है तो दूसरी पार्टियां भी इसमें पीछे नहीं रही हैं। विपक्षी पार्टियों को मिले चंदे को जोड़ दिया जायेग तो यह आंकड़ा 14000 करोड़ को पार कर जायेगा। तो सवाल उठता है कि आखिर विपक्ष किस बात का हंगामा मचा रहा है। हाल ही में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि भाजपा जिसकी संसद में क्षमता 303 सदस्यों की है उसे 6000 करोड़ का चंदा मिला है। लेकिन विपक्षी पार्टियां जो 300 भी नहीं हैं, उनको कुल 14000 करोड़ का चंदा मिलना भी तो कुछ दर्शाता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कुल 20,000 करोड़ रुपये से कुछ ऊपर के चुनावी बॉन्ड खरीदे जाने का आंकड़ा सार्वजनिक किया है।
हास्यास्पद स्थिति यह है कि भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल इसे चंदे में सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं। भाजपा तो खैर सत्ता में है, अगर उसे ज्यादा चंदा मिलता है तो यह समझ में आता है। लेकिन जो पार्टियां सत्ता में नहीं हैं, उनको चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा मिलना आश्चर्य प्रकट नहीं करता है? इन सभी को सत्ताधारी भाजपा से अधिक संयुक्त राशि मिली है। उसके बाद भी ये राजनीतिक दल हल्ला मचा रहे हैं।
चुनावी बॉन्ड से किस पार्टी को मिला कितना धन?
- भाजपा – 6,986.5 करोड़ रुपये
- कांग्रेस – 1,334.35 करोड़ रुपये
- टीएमसी – 1,397 करोड़ रुपये
- डीएमके – 656.5 करोड़ रुपये
- बीजेडी – 944.5 करोड़ रुपये
- वाईएसआर कांग्रेस – 442.8 करोड़ रुपये
- तेदेपा – 181.35 करोड़ रुपये
- सपा – 14.05 करोड़ रुपये
- अकाली दल – 7.26 करोड़ रुपये
- AIADMK – 6.05 करोड़ रुपये
- नेशनल कॉन्फ्रेंस – 50 लाख रुपये
- बीआरएस – 1,322 करोड़ रुपये
इसे कहते हैं कि हजार चूहे खाकर बिल्ली हज करने चली। कांग्रेस पार्टी जिसने खुद ही ‘इलेक्टरोल बॉन्ड’ के जरिए अरबों रुपये का चंदा प्राप्त किया है वह आज किस नैतिकता की बात कह रही है? भले ही विपक्षी पार्टियां पारदर्शिता का हवाला देकर भाजपा को घेरने का प्रयास कर रही है, सुप्रीम कोर्ट ने कम से कम उन्हें भी उनका चेहरा दिखा दिया है। एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को जो जानकारी दी है उसके अनुसार साढ़े 22 हजार से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। इनमें राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड को कैश कराया। जिसमें भाजपा को 6,986.5 करोड़ और अन्य राजनीतिक पार्टियों को 14,000 करोड़ रुपये से अधिक चंदे के रूप में मिले हैं
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली प्रमुख कंपनियां
- फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज – 1,368 करोड़ रुपये
- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड – 966 करोड़ रुपये
- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड – 410 करोड़ रुपये
- वेदांता लिमिटेड – 400 करोड़ रुपये
- हल्दिया एनर्जी लिमिटेड – 377 करोड़ रुपये
- भारती ग्रुप – 247 करोड़ रुपये
- एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 224 करोड़ रुपये
- वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन – 220 करोड़ रुपये
- केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड – 194 करोड़ रुपये
- मदनलाल लिमिटेड – 185 करोड़ रुपये
- डीएलएफ ग्रुप – 170 करोड़ रुपये
- यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल – 162 करोड़ रुपये
- उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल – 145.3 करोड़ रुपये
- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड – 123 करोड़ रुपये
- बिड़ला कार्बन इंडिया – 105 करोड़ रुपये
- रूंगटा संस – 100 करोड़ रुपये
- डॉ रेड्डीज – 80 करोड़ रुपये
- पीरामल एंटरप्राइजेज ग्रुप – 60 करोड़ रुपये
- नवयुग इंजीनियरिंग – 55 करोड़ रुपये
- शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स – 40 करोड़ रुपये
- सिप्ला लिमिटेड – 39.2 करोड़ रुपये
- लक्ष्मी निवास मित्तल – 35 करोड़ रुपये
- ग्रासिम इंडस्ट्रीज – 33 करोड़ रुपये
- जिंदल स्टेनलेस – 30 करोड़ रुपये
- बजाज ऑटो – 25 करोड़ रुपये
- सन फार्मा लैबोरेटरीज – 25 करोड़ रुपये
- मैनकाइंड फार्मा – 24 करोड़ रुपये
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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