Jharkhand: दबाव की राजनीति कर रही कांग्रेस, मंत्री नहीं बनाये जाने की है नाराजगी

Congress is doing politics of pressure, angry at not being made a minister

चम्पाई सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस के चार विधायकों, जो अब मंत्री बन गये हैं, के अलावा सभी 12 विधायक नाराज है। उनकी नाराजगी की दो वजहें है। एक तो नये मंत्रिमंडल में नये मंत्रियों को जगह नहीं दी गयी। दूसरे कांग्रेस के कोटे से पांचवां मंत्री क्यों नहीं बनाया गया। विधायकों का नाराज होने उनका व्यक्तिगत मामला हो सकता है, वास्तव में यहां नाराजगी की कोई वजह ही नहीं होनी चाहिए थी। झामुमो ने भी पुराने मंत्रियों को रिपीट किया है। जो दो चेहरे नये मंत्रिमंडल में नजर आ रहे हैं, वे रिक्त हुए स्थान के कारण है। एक स्थान रिक्त हुए था हेमंत सोरेन की वजह से और दूसरा स्थान जोबा मांझी को हटाये जाने से।

पहले, पहली वजह की चर्चा कर लें कि नये विधायकों को मंत्री के रूप में दर्जा नहीं दिये जाने के कारण कांग्रेस के दूसरे विधायकों को क्यों नहीं नाराज होना चाहिए। यह सभी जानते हैं कि नया मंत्रिमंडल बनाने की नौबत क्यों आयी। ऐसा पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सत्ता से हटने के कारण हुई है। अगर आज हेमंत सोरेन ही मुख्यमंत्री रहते तो यही मंत्री सरकार में रहते जो पहले थे। चम्पाई सोरेन सरकार में अगर किसी को नाराज होना चाहिए तो वे हैं- जोबा मांझी और बैद्यनाथ राम। जोबा मांझी को हटाकर झामुमो ने एक नये चेहरे को जगह दी। बैद्यनाथ को 12वें मंत्री के रूप में नामित करने के बाद कांग्रेस के ही विधायकों की नाराजगी के कारण हटाना पड़ा।

अब आते हैं दूसरी वजह पर। नाराज होने की एक और वजह है कांग्रेस से पांचवां मंत्री क्यों नहीं बनाया गया। वैसे अगर झामुमो से 12 विधायक मंत्री बना दिये जायें या कांग्रेस से ही 12 विधायक मंत्री बन जायें। इसमें कानून का कोई नियम भंग नहीं होता। नियम इतना है कि किसी भी विधानसभा के फुल स्ट्रेंथ  के 15% से अधिक विधायक मंत्री नहीं बन सकते। झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं। 81 का 15% 12.15 यानी 12 विधायकों को ही यहां मंत्री बनाया जा सकता है। चूंकि यहां गठबंधन की सरकार है। इस गठबंधन में चार पार्टियां हैं। झामुमो (29 सीट), कांग्रेस (16 सीट), राजद (1 सीट) और सीपीआई-एमल (1 सीट) की कुल 47 सीटें हैं। यहां आपसी सहमति यही है कि जिसके पास जितनी सीटें हैं उसके हिसाब से मंत्रिमंडल में उसका प्रतिनिधित्व होगा। 12 सीटों को अगर 47 से विभाजित किया जाये तो 1 विधायक के हिसाब से .255 सीट का हिसाब बनता है। झामुमो के पास 29 सीटें हैं तो 29X.255 = 7.395 सीटें आयेंगी। कांग्रेस के पास 16 सीटें हैं तो उसके हिस्से में 16X.255 = 4.08 सीटें आयेंगी। बात करें राजद और सीपीआई-एमल की, तो दोनों के पास 1-1 सीट है इसलिए उनके हिस्से में 1x.255 = .255 सीटें आयेंगी। आपसी तालमेल के हिसा से राजद और सीपीआई-एमल को कोई सीट नहीं मिलनी चाहिए। अगर राजद को एक मंत्रिपद मिला है तो वामदल को भी एक मंत्रिपद मिलना चाहिए। इस कल्कुलेशन से झामुमो के पास अब भी 1 मंत्री कम है। तो कांग्रेस पांचवें मंत्री को लेकर क्यों मुंह फुलाये है, फैसला कर ले।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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