Champai Soren Jharkhand: आज विधानसभा में Champai सरकार का बहुमत परीक्षण, देर रात हैदराबाद से रांची लौटे सभी विधायक

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Champai Soren Jharkhand: हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें 10 दिन के भीतर बहुमत साबित करने का समय दिया. इसके तहत चंपई सोरेन 5 फरवरी को रांची विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करेंगे. इस बहुमत परीक्षण में भाग लेने के लिए सभी विधायकों को हैदराबाद से रांची लाया गया.

आपको बता दें कि दो फरवरी को रांची से हैदराबाद पहुंचे झामुमो और कांग्रेस के विधायक रांची पहुँच गये हैं. इन सभी विधायकों को हैदराबाद में रखा गया था. माना जा रहा था कि उनके रांची में रहने के दौरान पार्टी में टूट हो सकती है या कुछ विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं. इसे देखते हुए 2 फरवरी को सभी विधायकों को चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद भेजा गया और सभी को हैदराबाद के लियोनिया रिजॉर्ट में रखा गया. अब इन सभी लोगों को फिर से चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद से रांची वापस लाया गया है.

सर्किट हाउस से सीधे विधानसभा जाएंगे विधायक

चंपई सोरेन को विश्वासमत साबित करने के लिए झारखंड विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र 5 फरवरी यानी कल सोमवार को बुलाया गया है, जिसको देखते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक रविवार शाम रांची पहुंच गए . उन्हें रांची के सर्किट हाउस में रखा गया है , सोमवार को इन्हें बस से सीधे विधानसभा लाया जाएगा.

विश्वास मत हासिल करने में नहीं होगी कोई परेशानी 

हालांकि मौजूदा हालात में सीटों का जो गणित है उसे देखकर कहा जा सकता है कि चंपई सोरेन को विश्वास मत हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होगी. बता दें कि वर्तमान समय में जेएमएम के 29 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के 17 और आरजेडी के एक विधायक हैं. कुल मिलाकर महागठबंधन के पास 47 विधायक हैं. वहीं वाम दल विधायक विनोद सिंह का भी उन्हें समर्थन प्राप्त है. झारखंड में कुल 81 सीट हैं. इस तरह सरकार बनाने के लिए 41 विधायक चाहिए. इस प्रकार कह सकते हैं कि चंपई सोरेन के पास बहुमत से बहुत ज्यादा सीट हैं. वहीं गांडेय सीट फिलहाल खाली है.

NDA का गणित 

वहीं झारखंड विधानसभा में बीजेपी के कुल 26 विधायक हैं, जबकि आजसू के पास 3 विधायक हैं, वहीं एनसीपी के एक विधायक हैं. इस तरह से एनडीए के पास कुल 30 विधायक. जो बहुमत के आंकड़े से काफी दूर है. इन आंकड़ों को देखने से स्पष्ट होता है कि अगर कोई भीतरघात ना हो तो महागठबंधन की सरकार को कोई खतरा नहीं है.

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