सहानुभूति की लहर से सत्ता सफर की ‘कल्पना’! सफल हो रही झामुमो की योजना!

‘Imagination’ of traveling to power with the wave of sympathy! Successful JMM plan!

कांग्रेस ने 1952 और 1957 के पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में भले ही 90 प्रतिशत से अधिक सीटें जीती हों, लेकिन उसका सबसे बड़ा प्रदर्शन इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए आम चुनाव में रहा था। इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में उठे सहानुभूति के ज्वार में कांग्रेस 543 सीटों में से 415 सीटों पर सवार हुई थी। भारत की राजनीति में सहानुभूति लहर का असर कितना होता है इसका यह बहुत बड़ा उदाहरण है।

आज झारखंड में भी ऐसा ही कुछ देखने और दिखाने का प्रयास हो रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जब से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई है, तब से झामुमो ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। झामुमो के नेता और कार्यकर्ता यही बताने और जताने में लगे हुए हैं कि उनके नेता को गलत तरीके से फंसाया गया है। चाहे सीएम चम्पाई सोरेन हों, चाहे झामुमो के मंत्री हों, चाहे झामुमो के विधायक हों या फिर कार्यकर्ता सभी एक ही लकीर पर चल रहे हैं कि हेमंत सोरेन के साथ गलत हुआ है। हेमंत सोरेन के साथ हुई इस ‘गलती’ को भुनाने का जी-तोड़ प्रयास भी झामुमो के द्वारा हो रहा है। इसके लिए एक नहीं कई रास्ते अपनाये जा रहे हैं। सीएम चम्पाई सोरेन जिस भी मंच पर होते हैं, हेमंत सोरेन का नाम लेना नहीं भूलते। हेमंत सोरेन के कार्यों और उनके द्वारा लायी गयी जन-कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र करना नहीं भूलते और तो और खुद को भी हेमंत के दिखाये मार्ग पर चलने वाला बतलाते हैं। इसके अलावा झामुमो के कार्यकर्ता हेमंत की गिरफ्तारी के बाद से ही आन्दोलनरत हैं, हेमंत की रिहाई का संकल्प लेकर उपवास भी लगातार कर रहे हैं।

झामुमो का यह अभियान और आगे बढ़ गया है। अब झामुमो ने ‘एटमबम’ का धमाका कर दिया है। लम्बे समय से चल रही अटकलों के बाद आखिरकार झामुमो ने शिबू सोरेन की मझली बहू और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को ‘राजनीति के मैदान’ में उतार दिया है। सोमवार को झामुमो के स्थापना दिवस पर कल्पना सोरेन गिरिडीह में विशाल जनसमूह के सामने  पहली बार सामूहिक रूप से उपस्थित हुईं। ना सिर्फ उपस्थित हुईं, अपने आंसुओं से राज्य की जनता का हृदय पिघलाने का काम भी किया। जनता के सामने उन्होंने अपनी पीड़ा भी रखी, हेमंत सोरेन के साथ हुए ‘अन्याय’ का जिक्र भी किया, हेमंत सोरेन के साथ हुए ‘अन्याय’ को लेकर जनता से सवाल भी किया, विरोधियों की नीयत पर सवाल भी उठाये और विरोधियों को ‘करारा जवाब भी मिलेगा’ की हुंकार भी लगायी।

यह राजनीति है, राजनीति में हर दांव ‘जायज’ है। झामुमो कुछ भी गलत नहीं कर रहा है। फिर भी झामुमो की ‘कल्पना’ ने अभी शुरुआत की है, अभी चलना और दौड़ना बाकी है, उसके बाद ही ‘कल्पना’ भर सकेगी उड़ान। पर इन सबसे के लिए अभी वक्त का इन्तजार करना होगा।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

यह भी पढ़ें:  Jharkhand: खूंटी से भाजपा के मुकाबले कौन? अर्जुन पर चलेंगे झामुमो के तीर? या टिकट आयेगा कांग्रेस के हाथ?