सर्दियां अपने अंतिम चरण में हैं, लोग सर्दियों से पीछा कब छूटे इसी चिंता में हैं। सर्दियां खत्म होंगी तो गर्मियों की शुरुआत के बाद एक और चिंता सताने लगेगी, वह है पानी की चिंता। यह कोई नई बात नहीं है। दिनों दिन आबादी बढ़ती जा रही है, उसी रफ्तार से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी मंडरा रहा है। इसलिए गर्मियों की शुरुआत होने से पहले ही पेयजल संकट अपना रूप दिखाने लगता है। लोग बाल्टी और बरतन लेकर इधर-उधर भटकने लगते हैं।
लोगों की इस चिंता को झारखंड के उच्च न्यायालय ने भी समझा है और रांची नगर निगम से सवाल किया है कि गर्मियों में पानी की सप्लाई और लोगों को पेयजल की समस्या से निबटने के क्या प्लान हैं। दरअसल, रांची में अपार्टमेंट कल्चर के कारण भी पेयजल का संकट ज्यादा गहरा गया है। अपार्टमेंट कल्चर के कारण डीप बोरिंग बेतहाशा होने लगी है। अगर अपार्टमेंट वालों को पानी की जरूरत है तो यह जरूरत आम लोगों की भी है। झारखंड हाई कोर्ट का सीधा सवाल डीप बोरिंग पर नियंत्रण लगाने को लेकर है। हाई कोर्ट ने रांची के तालाबों की साफ-सफाई पर संज्ञान लेकर झारखंड सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में मामले की सुनवाई हुई।
झारखंड हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह सवाल करते हुए यह भी पूछा कि कांके डैम, हटिया डैम, गेतलसूद डैम के आस पास जो अतिक्रमण किया गया है, उसे हटाने के लिए कोई काम किया गया है नहीं। हाई कोर्ट के सवाल पर सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि कैटमेंट एरिया को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए फंड जारी किया गया है। सैटेलाइट मैपिंग की मदद से अतिक्रमण की जानकारी ली जा रही है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: अबकी बार ‘मोदी का परिवार’! भाजपा नेताओं ने बदला X का बायो