अजमेर शरीफ का को शिव मंदिर बताने वाली याचिका मंजूर, सर्वे होगा या नहीं, कोर्ट करेगा फैसला

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के काशी मंदिर-मस्जिद विवादके बाद राजस्थान का एक और धार्मिक स्थल विवादों में आ गया है। कोर्ट ने राजस्थान के अजमेर शरीफ को शिव मंदिर बताये जाने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है, अब कोर्ट यह फैसला करेगा कि वहां शिव मंदिर होने के प्रमाण की जांच की जायेगी या नहीं। राजस्थान के अजमेर की स्थानीय दीवानी मामलों के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में बुधवार को सुनवाई हुई, जिसने अजमेर शरीफ के सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी भी कर दिया है। याचिका हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गयी है, जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह में काशी और मथुरा की तरह एक मंदिर था।

विष्णु गुप्ता के अनुसार, दरगाह में एक शिव मंदिर होना बताया जा रहा है। उसमें पहले पूजा पाठ होता था… पूजा पाठ दोबारा शुरू करवाने के लिये वाद सितंबर 2024 में दायर किया गया था। अदालत ने वाद स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किए हैं। इस संबंध में अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कार्यालय-नयी दिल्ली को समन जारी हुए हैं।

अजमेर शरीफ को लेकर दावा

यह मुद्दा सामने आने के बाद राजनीति का उबलना स्वाभाविक है। AIMIM सांसद असदुद्दीन औवेसी तो दावा किया है कि यह दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां मौजूद है। नेहरू से लेकर कई प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं। पीएम मोदी ने भी वहां चादर भेजी है। उन्होंने बीजेपी-आरएसएस पर मस्जिदों और दरगाहों को लेकर नफरत फैलाने काआरोप लगाया है। कांग्रेस ने भी भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है कि पीएम को इस मामले को देखना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए।

हालांकि हिन्दू पक्ष भी इसको लेकर मुखर है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो कांग्रेस पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि अजमेर में कोर्ट ने सर्वे के निर्देश दिये। अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया है, तो समस्या क्या है? मुगलों ने हमारे मंदिर तोड़े, उस पर तो कोई बात नहीं करता।  कांग्रेस ने केवल तुष्टीकरण का काम किया है। उन्होंने कहा कि अगर नेहरू ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने के अभियान को रोक नहीं दिया होता, तो आज हमें अदालत जाने की नौबत नहीं आती।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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