4G, 5G हुए पुराने, अब भारत में आएगा 6G, बेंगलुरू में सेटअप हुआ लैब

5G सर्विस को भारत में लॉन्च हुए महज 15 महीने हुए हैं और 6G की तैयारी शुरू हो गई है। यह नेक्स्ट जेनरेशन टेक्नोलॉजी केवल मोबाइल, इंटरनेट और IoT तक ही नहीं सीमित रहेगी, बल्कि इसमें डिजिटल वर्ल्ड और फिजिकल वर्ल्ड को कनेक्ट किया जाएगा। नोकिया ने इस कड़ी में IISc के साथ मिलकर बेंगलुरू में लैब सेटअप किया है। इस लैब के जरिए नेक्स्ट जेनरेशन 6G टेक्नोलॉजी के बारे में रिसर्च और डेवलपमेंट किया जाएगा। इस लैब में रेडियो टेक्नोलॉजी से लेकर आर्किटेक्चर, इंटरैक्टिव मशीन लर्निंग और 6G एयर इंटरफेस के बारे में रिसर्च किया जाएगा।

6G टेक्नोलॉजी का होगा रिसर्च

Nokia इस लैब में 6G रेडियो टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करेगा। साथ ही नेक्स्ट जेनरेशन टेक्नोलॉजी के आर्किटेक्चर्ल डिजाइन पर  काम किया जाएगा, ताकि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जा सके। इस लैब में मशीन लर्निंग इंटिग्रेशन पर भी रिसर्च किया जाएगा। साथ ही, 6G की क्षमता और परफॉर्मेंस को परखा जाएगा।

नोकिया का यह 6G लैब भारत में नेक्स्ट जेनरेशन नेटवर्क के लिए क्या जरूरी है और क्या चुनौतियां है, उसके बारे में स्टडी किया जाएगा। बता दें नोकिया ने इस लैब का उद्घाटन पिछले साल अक्टूबर में किया था। यह लैब नोकिया के ग्लोबल रिसर्च एंड डेवलपमेंट तौर पर काम करेगा, जिसमें 6G के इनोवेटिव यूज केस के लिए फंडामेंटल टेक्नोलॉजी पर रिसर्च किया जाएगा।

ऐसी रही 2G से 6G की जर्नी

Nokia ने बताया कि किस तरह से 2G से लेकर 6G तक रेडियो टेक्नोलॉजी ने शिफ्ट किया है। 2G में केवल वॉइस कॉल और SMS भेजा जा सकता है। बाद में इसमें GPRS और EDGE टेक्नोलॉजी जोड़ा गया, जिसके जरिए मोबाइल इंटरनेट ब्राउजिंग संभव हो सका। 3G टेक्नोलॉजी के जरिए ब्रॉडबैंड और डेटा कम्युनिकेशन करना संभव हो सका। साथ ही, मोबाइल के जरिए वॉइस के साथ-साथ वीडियो कॉलिंग भी किया जाने लगा।

मौजूदा 4G और 5G नेटवर्क में पिछले सभी जेनरेशन के मुकाबले काफी एडवांस तरीके से इंटरनेट और डेटा एक्सेस किया जाने लगा। हाल में लॉन्च हुए 5G नेटवर्क के जरिए इंडस्ट्रियल IoT और इंटरेक्टिव वीडियो एक्सेस किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी में 4G के मुकाबले 10 गुना तेजी से इंटरनेट डेटा एक्सेस किया जा सकता है। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल ऑटोनोमस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के लिए किया जाने लगा है।

6G इससे भी एक कदम आगे है, जिसमें फिजिकल वर्ल्ड को डिजिटल वर्ल्ड में आसानी से कम्युनिकेट किया जा सकेगा। साथ ही, यह टेक्नोलॉजी AI और होलोग्राफिक वीडियो कम्युनिकेशन का जरिया बनेगा।

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