क्या दक्षिण अफ्रीका माथे से हटा पायेगा ‘चोकर्स’ का ठप्पा?
भारत ने वानखेड़े स्टेडियम में दिखा दिया कि चाहे कोई कितना भी जोर लगा ले अबकी बार सिर्फ भारत का ही डंका बजेगा। पहले सेमीफाइनल में भारतीय टीम ने चाहे बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी हर क्षेत्र में न्यूजीलैंड की टीम को मात देकर फाइनल में जगह बनायी है। यह जरूर है कि न्यूजीलैंड की टीम एक संतुलित टीम है, लेकिन उसको जिस तरह से भारत ने मात दिया है, उसके लिए सिर्फ इसे चमत्कारिक प्रदर्शन की ही संज्ञा दी जा सकती है। इस चमत्कारिक प्रदर्शन के बाद भारत के ‘विजयी भव’ पर कोई संदेह नहीं रह जाता है। भारत ने अब तक खेले 10 मैचों में से सभी 10 मैच जीतकर अपना दस का दम दिखा दिया, अब क्रिकेट प्रेमी 19 नवम्बर का बेसब्री से इन्तजार कर रहे होंगे। उनके मन में सिर्फ एक ही बात घूम रही होगी, इस भारत अहमदाबाद स्टेडियम में वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाये।
आस्ट्रेलिया से फाइनल कितना कठिन?
यह तो हुआ भारत के अब तक के प्रदर्शन। क्या फाइनल भी भारत के लिए उतना ही आसान होगा? इस सवाल का जवाब थोड़ा टेढ़ा है। ऐसा इसलिए कि आज आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा सेमीफाइनल मैच खेला जायेगा। इस मैच के विजेता से ही भारत की अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में भिड़ंत होगी। अगर भारत का मुकाबला आस्ट्रेलिया से होता है तो यह मैच भारत के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है, चाहे भारत पहले बल्लेबाजी करे या बाद में, आस्ट्रेलिया से मुकाबला आसान नहीं होगा। भले ही अपने शुरुआती मैच में आस्ट्रेलिया को वह आसानी से हरा चुका है। विश्व कप के इतिहास को उलट कर आप देख सकते हैं कि आस्ट्रेलिया जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे उसका खेल उतनी ही आक्रामकता आती जाती है। अब से पहले खेले गये 12 विश्व कप में से 7 बार फाइनल में पहुंचना और 5 बार चैम्पियन होना इसका प्रमाण है। अफगानिस्तान के खिलाफ जिस तरह से हार के जबड़े से अपनी जीत खींच कर लाया है, वह क्रिकेट के इतिहास में दुर्लभतम उदाहरणों में से है। हालांकि ऐसे मैच रोज-रोज नहीं खेले जाते। कहने का तात्पर्य यह है कि फाइनल में आस्ट्रेलिया एक कठिन प्रतिद्वन्द्वी साबित हो सकता है, बनिस्बत दक्षिण अफ्रीका के।
दक्षिण अफ्रीका से मुकाबला कितना आसान?
दक्षिण अफ्रीका से मुकाबला थोड़ा आसान हो सकता है, अगर दक्षिण अफ्रीका बाद में बल्लेबाजी करे तो। पहले बल्लेबाजी करते हुए इस विश्व कप में ही अफ्रीकी टीम ने कई मैचों में अपने प्रतिद्वन्द्वी को बुरी तरह से रौंदा है। लेकिन दूसरे सेशन में बल्लेबाजी करते हुए वह कई मैचों में घुटनों में भी आयी है। भारत के खिलाफ खेले गये मैच में भी ऐसा हो चुका है। मैच के परिणाम से अलग एक और बात दक्षिण अफ्रीका के साथ है, उसके ऊपर लगा हुआ ‘चोकर्स’ टीम का ठप्पा। दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दोबारा पदार्पण के बाद पहला विश्व कप 1992 में खेला था। अपने पहले ही विश्व कप में वह सेमीफाइनल तक पहुंचा था। सेमीफाइनल में इंगलैंड के खिलाफ वह फाइनल में पहुंचने के करीब भी था, लेकिन बारिश के कारण उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। क्योंकि जब बारिश रुकी और मैच शुरू हुआ तब उसे 1 गेंद में 32 रन बनाने का असम्भव टार्गेट दिया गया था। जबकि वह आसानी से मैच जीतने की राह पर था। वह सेमीफाइल मैच भी क्रिकेट के इतिहास का एक अद्वितीय उदाहरण है। क्योंकि कोई भी टीम चाहे कितना भी बड़ा टार्गेट विपक्षी टीम को दे दे, वह मैच भले ही विपक्षी टीम हार जाये, लेकिन उसको मिले टार्गेट को असम्भव टार्गेट नहीं कहा जा सकता। खैर, उस विश्व कप से लेकर अब तक विश्व कप कप छोड़कर दूसरे विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचता रहा, लेकिन फाइनल में कभी नहीं पहुंच सका। ऐसा तब भी हुआ जब उसकी गिनती मजबूत टीमों में होती थी और उसके पास दिग्गज खिलाड़ियों की कमी नहीं थी।
अब यह देखना है कि आज के सेमीफाइनल मुकाबले में कौन बाजी मार कर 19 नवम्बर को अहमदाबाद में भारत के साथ फाइनल खेलता है। क्या आस्ट्रेलिया आठवीं बार फाइनल में पहुंचने में सफल होता है या दक्षिण अफ्रीका खुद के ऊपर ‘चोकर्स’ का ठप्पा हटाने में सफल होता है। वैसे आस्ट्रेलिया की निगाहें अपने छठे विश्व कप खिताब पर भी होंगी, फिलहाल उसे आज का सेमीफाइनल जीतना होगा।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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