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World Cup 2023: ग्लेन मैक्सवेल की पारी की हो रही कपिल से तुलना, पर कई मायनों में उससे अलग है यह पारी

World Cup 2023: Glenn Maxwell's innings is being compared to Kapil

मंगलवार को मुम्बई में ग्लेन मैक्सवेल नाम का जो तूफान आया, उसका असर क्रिकेट जगत में वर्षों नहीं शताब्दियों तक महसूस किया जायेगा। कहानी का मजमून यही है कि मैक्सवेल ने एक असम्भव से बन गये लक्ष्य को जीत में बदलकर आस्ट्रेलिया को सेमीफाइनल में पहुंचा। मैक्सवेल की इस पारी की तुलना कई क्रिकेट विशेषज्ञ 1983 की जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली गयी कपिल देव की पारी से कर रहे हैं। इसमें कोई संदेश नहीं कि कपिल  देव ने उस समय जो किया वह बस कमाल ही थी। कपिल देव की उस पारी की किसी दूसरी पारी से तुलना कर कमतर नहीं किया जा सकता। क्योंकि ऐसी पारियां वर्षों में कभी-कभार ही खेली जाती हैं। लेकिन मैक्सवेल ने जो किया वह बस चमत्कार ही है।

कपिल देव और मैक्सवेल की पारियों में बड़ा अन्तर

कपिल देव और मैक्सवेल की पारियों में बड़ा अन्तर है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कपिल देव की चमत्कारिक पारी के बाद भी भारत हार सकता था या भारत कम स्कोर बना कर भी मैच जीत सकता था। क्योंकि वह पारी खेले जाने तक क्रिकेट में सभी ऑप्शन खुले हो सकते थे।जिन लोगों ने इस समय मैच की रेडियो पर कॉमेन्ट्री सुनी होगी (ब्रॉडकास्टर की हड़ताल के कारण इस ऐताहासिक मैच का न टेलीकस्टिंग हुई और न ही इसका कोई वीडियो उपलब्ध है ) उन्हें यह पता होगा कि जिम्बाब्वे के केविन करेन (इंगलैंड की टीम से खेल रहे सैम करेन के पिता) भारत की जीत के सामने आ गये थे, ऐन वक्त पर मदनलाल ने उनका विकेट लेकर भारत की जीत का द्वार खोला था। भारत वह मैच 31 रनों से जीता था। उस मैच में ऐसा भी हो सकता था कि भारत छोटा स्कोर ही बनाती और मैच जीत जाती। क्योंकि क्रिकेट तो अनिश्चितताओं का खेल है ही। क्रिकेट जगत में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब कम स्कोर बनाने के बाद भी टीमें अनेकों मैच जीती हैं।

1985 में आस्ट्रेलिया में बेन्सन हेजेज टूर्नामेन्ट खेला गया था। भारत ने यह टूर्नामेंट अपराजेय रहते हुए जीता था। उसके कुछ ही दिनों बाद शारजाह में रॉथमन्स टूर्नामेंट खेला गया। पहला मैच भारत और पाकिस्तान के बीच था। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत की पूरी टीम 125 रनों पर आल आउट हो गयी थी। लेकिन भारत ने पलटवार किया और पाकिस्तान को 87 रनों पर समेट दिया।

क्यों है अलग मैक्सवेल की पारी?

अब चर्चा करते हैं मैक्सवेल की। मैक्सवेल की पारी अलग क्यों है। ऐसा इसलिए क्योंकि अफगानिस्तान की टीम पहले बल्लेबाजी कर चुकी थी। उसने 291 रनों का स्कोर खड़ा कर लिया था। अब अगर मैच तभी जीता जा सकता था जब 292 रन बना लिया जाये। और मैक्सवेल ने यही किया। मैक्सवेल का असली चमत्कार तो शुरू हुआ था 91 रनों पर सात विकेट गिरने के बाद। क्योंकि वहां से भी अभी 201 रन बनाने थे। सफर लम्बा था। बीच में किसी भी स्कोर पर उनका विकेट गिरने का मतलब था कहानी खत्म। लेकिन मैक्सवेल ने बाजी पलटने नहीं दी। इस मैच में बहुत कुछ हुआ। उनके दो कैच भी छूटे। उनकी मसल पुल भी हुई। रन दौड़ने में परेशानी हुई। शॉट भी खड़े-खड़े लगाये, फिर भी डटे रहे। उनके साथी बल्लेबाज ने कमिन्स ने सिर्फ उन्हें सपोर्ट दिया और मैक्सवेल ने बाजी पलट भी दी। अफगानिस्तान के जबड़े में जा चुकी जीत को वहां से खींच कर ले आये थे मैक्सवेल। इस तरह ग्लेन ने आस्ट्रेलिया का ‘Max’ ’Well’ कर दिया।

ग्लैन मैक्सवेल ने मैच में क्या क्या किया?
  • ग्लेन मैक्सवेल वनडे क्रिकेट में रनों का पीछा करते हुए दोहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं।
  • मैक्सवेल की यह पारी रनों का पीछा करते हुए सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी बन गई है।
  • मैक्सवेल ने सिर्फ 128 गेंदों में 201 रनों की नाबाद पारी खेली, जिसमें उन्होंने 21 चौके और 10 छक्के लगाए।
  • पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज फख़र जमान का रिकॉर्ड तोड़ा। फख़र ने 2021 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहान्सबर्ग में 342 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 155 गेंदों में 193 रनों की पारी खेली थी।
  • ऑस्ट्रेलिया के ही पूर्व ऑलराउंडर शेन वॉटसन के रिकॉर्ड से भी आगे निकल गये। 2011 में बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए एक वनडे मैच में सिर्फ 230 रनों का पीछा करते हुए मात्र 96 गेंदों में नाबाद 185 रनों की नाबाद ताबड़तोड़ पारी खेली थी।
  • मैक्सवेल ने नंबर 6 पर आकर दोहरा शतक लगाया। वनडे क्रिकेट में अधिकांश दोहरे शतक ओपनर बल्लेबाजों ने बनाये हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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