पलामू से प्रभुदयाल की रिपोर्ट
Women’s Day: इस बात में कोई दोराय नहीं कि भले ही आज जमाना कितना भी आगे क्यों न बढ़ गया हो लेकिन महिलाओं को घर संभालने और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए ही उत्तम माना गया है। आज भी हमारे इर्द-गिर्द ऐसे कई लोग मौजूद हैं, जो घर की चारदीवारी में महिलाओं को कैद रखने को ही अपना धर्म मानते हैं। इसके बाद भी समाज के हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है। प्रशासनिक सेवा, राजनीति व समाज सेवा में कई महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। वहीं आज महिलाएं न केवल आज अपने हक के लिए लड़ रही हैं बल्कि अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए वह सजग हैं ।
हर साल 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाना है। महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कराना है। पिछड़ी महिलाओं को समाज के प्रथम पायदान पर लाना और उनके हक के लिए लड़ाई को जारी रखना महिला दिवस का उद्देश्य है । विश्व महिला दिवस पर ओमेंस कॉलेज की शिक्षिका बताती हैं की हमारा यह समाज पुरुष और नारी दोनों से ही बना है जितना महत्व नारी का है उतना ही महत्व पुरुष का भी है नारी को आगे बढ़ने के लिए पुरुष का सहयोग जरूरी है , तभी महिला आगे बढ़ सकती हैं । महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए सबसे अहम रोल शिक्षा का ही होता है तभी शिक्षा और संस्कार को लेकर ही महिलाएं आगे बढ़ती है ।
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— Samachar Plus – Jharkhand Bihar (@samacharplusjb) March 8, 2022
जहां महिलाओं का समय पहले घर की चूल्हा चौखट पर ही बीत जाता था , लेकिन महिलाओं की शिक्षित और जागरूक होने के साथ ही वक्त और हालात बदल गया । आज यहां कि महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है ,चाहे वो राजिनीति की बात हो या फिर सांस्कृतिक, आर्थिक क्षेत्र की ,जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर तेजी से आगे बढ़ रही है ।
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देश के निर्माण में जितना पुरूषों का योगदान है उतना ही महिलाओं का भी है. लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था ,उन्हें घर और परिवार की जिम्मेदारियों में पूरी तरह से बांध दिया जाता था ,लेकिन धीरे धीरे वक्त बदलता गया और महिलाओं ने घर की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उस मुकाम को हासिल किया जिन कारनामों को को अक्सर पुरुष अंजाम दिया करते थे ,लेकिन उन रूढ़िवादी सोच को तोड़ आज वे देश दुनिया में अपना परचम लहरा रही है ।
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किसी महिला ने अपने हौंसले से शारीरिक बाधाओं से पार पाया, तो किसी ने हिम्मत दिखाकर बच्चों को उनके परिवारवालों से मिलवाया। किसी ने हलाला और बहु विवाह के बाद अब हिजाब के खिलाफ मोर्चा खोला । ये महिलाएं घर के साथ-साथ दूसरे मोर्चों में भी बखूबी अपनी पहचान दर्ज करा रही हैं ।
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