Jharkhand: हेमंत सोरेन के साथ परिवार पर आयेगी आंच? पुराना मामला फिर उछला, कोर्ट ने मांगा जवाब

झारखंड सरकार में भ्रष्टाचार से जुड़ा पुराना जिन्न फिर से बाहर निकलने के बेकरार है। इसको लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल भी किया है और चार हफ्तों में उसका जवाब भी मांगा है। आपको याद दिला दें कि जमीन घोटाले में जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन समेत अन्य पर अवैध तरीके से खदान आवंटन का एक मामला प्रकाश में आया था। यह मामला कोर्ट में भी पहुंचा था। कोर्ट के आदेश के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने एक पत्र राजभवन को सौंपा था, जो अब तक नहीं खोला गया है।

बता दें कि कोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन और उनके परिवार के खिलाफ प्राथमिकी शुरू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है और चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता सुनील महतो के एसीबी में हेमंत सोरेन पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है।

याचिकाकर्ता ने आपराधिक रिट आवेदन में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से CM, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और साली सरला मुर्मू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि ‘हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए कथित तौर पर अपने पद का दुरुपयोग किया और अपने नाम पर खदान और अपनी पत्नी कल्पना और साली के नाम पर औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड आवंटित किए।

बता दें कि ‘झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण की ओर से रांची के बाहरी इलाके चान्हो में 11 एकड़ भूमि कल्पना सोरेन, सरला मुर्मू के पक्ष में आवंटित की गई और मुख्यमंत्री के पक्ष में पत्थर की खदान आवंटित की गई। हालांकि हेमंत सोरेन पहले भी अदालत को बता चुके हैं कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहले ही खारिज किया जा चुका है।

लीज माइनिंग का क्या है मामला?

मामला रांची के अनगड़ा में खनन पट्टा आवंटन से जुड़ा हुआ है। 2008 में झारखंड के खान विभाग के मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्हें अपने नाम और अपने करीबियों के नाम पर खान पट्टा आवंटित किया है। कोर्ट में सरकार की ओर से पहले भी इस पर अपना पक्ष रखा जा चुका है। इस प्रकरण में चुनाव आयोग ने भी सीएम हेमंत सोरेन से जवाब मांगा था। चुनाव आयोग को भेजे गये नोटिस में हेमंत सोरेन ने जवाब देते हुए यह स्वीकार किया था कि साल 2008 में 10 साल के लिए उन्हें खनन लीज मिला था। जिसे साल 2018 में रिन्यूअल नहीं किया गया। साल 2021 में उन्हें खदान की लीज तो फिर मिली, लेकिन काम करने की मंजूरी नहीं मिल पायी। इसके बाद 4 फरवरी 2022 को उन्होंने लीज को सरेंडर कर दिया।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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