Indian Politics: विपक्ष भाजपा सरकार पर हमेशा आरोप लगाता रहता है कि उसके खिलाफ जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है? हम भी कुछ वर्षों से कई नेताओं पर ईडी, सीबीआई या दूसरी जांच एजेंसियों की कार्रवाई होते देख रहे हैं। इन जांच एजेंसियों के दायरे में विपक्षी नेता ही दिखायी दे रहे हैं। क्या वाकई ऐसा है कि भ्रष्टाचार की जड़ें विपक्षी नेताओं तक ही हैं? क्या उन राज्यों में जहां विपक्षी दलों का शासन है, वहीं की सरकारें, नेता, मंत्री या अधिकारी ही भ्रष्ट हैं? जांच एजेंसियों के फेर में राज्यों के नेता तो हैं ही, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू प्रसाद यादव, मायावती, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, के. कविता, हेमंत सोरेन और न जाने कितने नाम हैं, जो जांच एजेंसियों के दरवाजे का चक्कर काट चुके हैं, या काट रहे हैं। इनमें से कौन फंसेगा और कौन बचेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता।
पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस, टीएमसी, आप, पीडीपी, आरजेडी, जेडीयू, डीएमके, बीआरएस, शिवसेना उद्धव, शरद पवार की राकांपा, सपा, बसपा, नेशनल कांफ्रेंस, कई नाम गिनाये जा सकते हैं, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं और जांच एजेंसियों ने उनके कथित भ्रष्टाचार को अपनी जांच का हिस्सा बना रखा है। इन सभी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भी सवाल किया है कि उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल तो यहां तक कह चुके हैं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने ठान लिया है कि अगर भाजपा को वोट नहीं दोगे तो उस सरकार को किसी भी हाल में काम नहीं करने देंगे।
आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल एक रिपोर्ट आयी थी उसके अनुसार जांच एजेंसियों के घेरे में कांग्रेस के 24 नेता थे। डीएमके, बीजू जनता दल के 6-6, समाजवादी पार्टी, बसपा के 5-5, आप, वाईएसआरसीपी3, आईएनएलडी के 3-3, सीपीएम, पीडीपी के 2-2 और टीआरस, एआईएडीएमके, एमएनएस के एक-एक नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों की जांच जारी थी। अब तो इस लिस्ट में कुछ नये नाम भी जुड़ चुके हैं।
आंकड़ों के ही हिसाब से पिछले 18 सालों में ईडी ने 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की है। एनडीए राज में सीबीआई के घेरे में आये नेताओं में 95% विपक्ष के नेता हैं, वहीं, यूपीए के दौर में 60% नेता विपक्ष के थे। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 वर्षों यानी 2004-2014 के दौरान कम से कम 72 नेता सीबीआई जांच के दायरे में आए हैं और उनमें से 43 यानी 60 प्रतिशत नेता विपक्ष से थे। वहीं पिछले 9 सालों में जिन नेताओं पर जांच बैठाई गयी इनमें 95 प्रतिशत से ज्यादा विपक्षी नेताओं पर ईडी और सीबीआई का शिंकजा कसा।
तो क्या वाकई में ऐसा है, कि एनडीए सरकार विपक्षी दलों उनके नेताओं का टार्गेट बना रही है। इस समय देश के 30 राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों में 12 में भाजपा या भाजपा गठबंधन एनडीए की सरकार है जबकि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों 17 राज्यों पर राज्य है। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। इन 17 विपक्ष शासित राज्यों में बहुत कम राज्य ऐसे होंगे जहां के किसी दल या नेता पर भ्रष्टाचार की जांच चल रही हो।

तो आइए देखते हैं कि किन राज्यों में कौन-कौन से दल और उनके नेता जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में है-
जम्मू-कश्मीर – जम्मू कश्मीर के नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। पीडीपी अध्यतक्ष महबूबा मुफ्ती से भी धनशोधन के मामले में ईडी पूछताछ कर चुकी है।
उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के कई नेता न सिर्फ जांच के दायरे में हैं बल्कि कुछ तो सलाखों के पीछे भी पहुंच गये हैं। यूपी के चर्चित नेताओं में पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम माइनिंग घोटाले में आया था। यह मामला सीबीआई के पास है। अलावा अखिलेश यादव भी गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में अनियमितताओं के लिए सीबीआई और ईडी दोनों की जांच के दायरे में हैं। मायावती के शासनकाल में स्मारकों के निर्माण में कथित अनियमितताओं के लिए यूपी सतर्कता विभाग द्वारा बसपा सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मायावती शासन के दौरान उत्तर प्रदेश में 21 चीनी मिलों के कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले हैं। पिछले साल मार्च में ईडी ने बसपा के पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल और उनके परिवार की सम्पत्ति को कुर्क किया था। 2020 में ईडी ने सपा नेता आजम खान के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आजम खान पर अली जौहर ट्रस्ट धन के कथित हस्तांतरण का मामला दर्ज है
पंजाब – पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी अवैध रेत खनन मामले में ईडी पूछताछ कर चुकी है। पंजाब के जालंधर जिले के कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह पर 2019 में विदेशी फेमा का उल्लंघन करने को लेकर ईडी ने छापा मारा था. उनके ऊपर कनाडा में संपत्ति रखने का आरपो था. जुलाई 2020 में ईडी ने इस मामले के संबंध में जालंधर में उनके आवास को कुर्क कर लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल भी ईडी का सामना कर चुके हैं।
बिहार- चारा घोटाले में सजा होने के बाद भी लालू प्रसाद यादव पर रेलवे में जमीन लेकर नौकरी देने का मामले की जांच शुरू हो गई है। इसमें सीबीआई और ईडी, दोनों जांच एजेंसियां शामिल हैं। इस केस में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी पूछताछ हो चुकी है। आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह, सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय भी जांच एजेंसियों की रडार पर हैं। चारा घोटाले में सजायाफ्ता और जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद लालू प्रसाद की मुश्किलें कभी कम नहीं हुई हैं। नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार से कई बार जांच एजेंसियां पूछताछ कर चुकी हैं।
छत्तीसगढ़ – सीएम भूपेश बघेल के करीबियों पर ईडी छापा मार चुकी है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार पर लगातार जांच एजेंसियों का दबाव बना हुआ है. दिसम्बर 2022 में भूपेश बघेल की ओएसडी सौम्या चौरसिया को ईडी ने गिरफ़्तार कर लिया था. बतातें चलें कि 20 फरवरी 2022 को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव और चंद्रदेव राय समेत करीब 6 कांग्रेस नेताओं के घर-दफ़्तर पर ईडी ने छापा मारा था. छत्तीसगढ़ में पीसीसी कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, गिरीश देवांगन, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और सन्नी अग्रवाल के निवास एवं कार्यालयों पर ईडी की रेड हो चुकी है।
हरियाणा – हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के यहां भी जांच एजेंसियों ने दस्तक दी है। पूर्व सीएम ओपी चौटाला भी सलाखों के पीछे रहे हैं। 2019 में ईडी ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री से कथित तौर पर जुड़ी संपत्तियां जब्त की थीं. चौटाला और उनके बेटों अभय और अजय की दिल्ली और हरियाणा में कथित तौर पर 3.68 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई थी.
झारखंड– झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर भी ईडी की सूई घूम रही हैं। खनन अवैध आवंटन मामले में ईडी उनसे एक बार पूछताछ कर चुकी है, अब रांची में हुए जमीन घोटाला मामले में भी ईडी ने 14 अगस्त को सीएम हेमंत को रांची स्थित अपने कार्यालय बुलाया था। हालांकि सीएम ने ईडी कार्यालय पेश होने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है। बता दें, इन दोनों मामलों में झारखंड की कई नामचीन हस्तियां भी ईडी और सीबीआई के फेर में फंसी हुई है कई तो इस समय जेल में अपना समय बिता रहे हैं। इन नामचीन हस्तियों में निलंबित आईएएस पूजा सिंघल, निलंबित आईएएस छवि रंजन, प्रेम प्रकाश, पंकज मिश्रा, विजय राम, साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव, इनके अलावा और भी कई चर्चित चेहरों पर ईडी और सीबीआई कार्रवाई कर रही है।
पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ शारदा चिट फंड मामला है। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को ईडी कोयला घोटाले में कई बार पूछताछ कर चुका है। पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। पार्थ चटर्जी का मामला पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा था। इसमें चटर्जी के अलावा भी कई लोग घोटाले की जद में आये थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी इसको लेकर उंगलियां उठी थीं, इन दिनों उनके भतीजे अभिषेक कोयला घोटाले को लेकर जांच एजेंसियों की जद में हैं।
दिल्ली – दिल्ली के कई कथित भ्रष्टाचार इन दिनों सुर्खियों में हैं। इन घोटालों में दिल्ली सरकार को दो मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन जेल की हवा खा चुके हैं। इतना ही नहीं खुद अरविन्द केजरीवाल करोड़ों रुपयों से बनाये गये शीश महल के कारण जांच एजेंसियों के घेरे में है, हालांकि जांच एजेंसियों का अभी बुलाया नहीं आया है। ताजा मामले में आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा सदन में फर्जी हस्ताक्षर मामले में फंस गये हैं। इन दिनों दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की चर्चा है. सिसोदिया की गिरफ्तारी सीबीआई ने शराब नीति में कथित घोटाले की जांच को लेकर की है.
कर्नाटक – कर्नाटक कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार को ईडी ने 3 सितंबर, 2019 को गिरफ्तार किया था. सितंबर 2018 में केंद्रीय एजेंसी ने शिवकुमार और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. 2017 में शिवकुमार ने कथित तौर पर गुजरात कांग्रेस के 44 विधायकों को कर्नाटक के एक रिसॉर्ट में ठहराया था. उस दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव लड़ रहे थे. इसके बाद आयकर विभाग ने शिवकुमार की तलाशी ली और ईडी ने भी कार्रवाई की. दिसंबर 2022 में ईडी ने शिवकुमार के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की थी.
राजस्थान – कांग्रेस नेता अशोक गहलोत, सचिन पायलट राजस्थान एम्बुलेंस घोटाले में आरोपी हैं. 2015 में तीनों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे. 2010 में एम्बुलेंस योजना को फर्जी तरीके से जिकित्जा हेल्थकेयर नामक एक कंपनी को दे दिया गया था. सचिन पायलट और कार्ति चिदंबरम भी कथित तौर पर कंपनी के निदेशक थे.

केरल – 1995 के एसएनसी लवलीन मामले में सीपीआई (एम) के तत्कालीन केरल राज्य सचिव पिनाराई विजयन के खिलाफ सीबीआई द्वारा चार्जशीट दायर हुई थी. अप्रैल 2021 में मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की. पूरे मामले में विजयन से पूछताछ नहीं की गई है और न ही मामले में उनका नाम लिया है. राज्य चुनावों से एक महीने पहले मार्च 2021 में, ईडी ने केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) के डिप्टी सीईओ और सीईओ थॉमस इसहाक को कथित विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था. यह जांच कैग की एक रिपोर्ट पर आधारित थी, जिसमें कहा गया है कि के आईआईएफबी ने केंद्र सरकार की सहमति के बिना अंतरराष्ट्रीय बाजार से धन जुटाया.
महाराष्ट्र- एनसीपी के 11 और शिवसेना के 8 नेता जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना के नेता संजय राउत पर भी ईडी का शिकंजा कसा जा चुका है. गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर के एक चॉल में 672 फ़्लैटों के पुनर्निमाण मामले में ईडी उन्हें गिरफ्तार भी कर चुकी है। 2019 में ईडी ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे से भी पूछताछ कर चुकी है। उनका मामला कोहिनूर सीटीएल को इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज में ऋण अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। पूर्व मंत्री नवाब मलिक, ईडी मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं।
आंध्रप्रदेश- तेलुगु देशम पार्टी के वाइएस चौधरी, प्रभाकर रेड्डी, रायापति राव, ए रेवनाथ रेड्डी पर भी ईडी अलग-अलग मामलों की जांच कर रहा है.
तेलंगाना- ईडी ने टीआरएस के लोकसभा सांसद नामा नागेश्वर राव की कंपनी मधुकॉन समूह पर धन शोधन की जांच के सिलसिले में करीब 96 करोड़ की संपत्ति कुर्क की थी.
मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी पर अलग-अलग मामलों में ईडी का शिकंजा कसा जा चुका है.
इनके अलावा भी कई राष्ट्रीय नेता ईडी और सीबीआई की जद में
सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के खिलाफ ईडी ने नेशनल हेराल्ड अखबार के अधिग्रहण को लेकर मामला दर्ज किया था. धनशोधन का यह मामला बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की तरफ से उठाया गया था. स्वामी ने 2013 में एक अदालत में निजी शिकायत दर्ज कराई थी. स्वामी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि अधिग्रहण के दौरान गांधी परिवार ने धोखाधड़ी की और धन का दुरुपयोग किया. जून 2022 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईडी ने इस मामले में समन भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया था.
सीबीआई और ईडी ने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पर भी शिकंजा कसा है. दोनों के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल-मैक्सिस सौदों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी में भूमिका का आरोप लगाया गया है. एजेंसियों ने आरोप लगाया कि दोनों मामलों में कार्ति को मिली रिश्वत के बदले फर्जी तरीके से एफडीआई मंजूरी दी गई.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल पर भी ईडी का शिकंजा कसा जा चुका है. बता दें कि अहमद पटेल की पिछले साल कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी. पटेल पर स्टर्लिंग बायोटेक मामले के संबंध में ईडी द्वारा जांच की जा रही थी. यह मामला गुजरात के कारोबारी नितिन और चेतन संदेसरा की धोखाधड़ी से जुड़ा था. मामला 20,000 करोड़ रुपये की कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से संबंधित है. जून और जुलाई 2020 में ईडी ने संदेसरा परिवार के साथ उनके कथित संबंधों पर पटेल से कई बार पूछताछ की. 2019 में ईडी ने पटेल के बेटे फैसल से पूछताछ की थी.
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: ‘अटल जी के नेतृत्व में देश प्रगति की राह पर आगे बढ़ा’, पुण्यतिथि पर इस तरह पीएम मोदी ने किया याद

Indian Politics