Delimitation in Jharkhand: देश के साथ- साथ परिसीमन को लेकर झारखण्ड में भी बहस छिड़ी हुई है। झामुमो-कांग्रेस गठबंधन केंद्र सरकार में बैठी भाजपा पर आरोप लगा रहा है कि इससे राज्य में आदिवासी सुरक्षित सीटों की संख्या कम हो जाएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन सत्र के समापन भाषण के दौरान मुख्य विरोधी दल भाजपा पर इसको लेकर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग बड़ी ही चतुराई के साथ परिसीमन के पीछे भी आदिवासी और दलित की सीटों को घटाने की साजिश रच रहे हैं। इस पर हमारी नजर है। उन्होंने सदन से ऐलान किया कि चाहे वह सरकार में रहे या ना रहे, परिसीमन पर आरपार की लड़ाई लड़ेंगे।
खतरे में आदिवासी, एनआरसी जरुरी- बाबूलाल मरांडी
दरअसल जेएमएम इस बात से सशंकित है कि वर्ष 2026 में फिर परिसीमन के दौरान राज्य में आदिवासियों के लिए सुरक्षित लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या घटा दी जाएगी।(Delimitation in Jharkhand) बता दें कि अभी विधानसभा की 28 सीटें आदिवासी, जबकि 9 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में राज्य में आदिवासी सुरक्षित लोकसभा और विधानसभा पर जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधित्व को झटका लग सकता है। वहीं परिसीमन पर उठाए गए मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का कहना है कि आदिवासियों की संख्या घटने पर ही परिसीमन में सीट घटाने-बढ़ाने का निर्णय होता है। उनका सत्तापक्ष से सवाल है कि राज्य में किस कारण से आदिवासियों की आबादी घटी है और मुसलमानों की आबादी बढ़ी है। कौन कहां से आया। झारखंड में एनआरसी कराने को लेकर सरकार को पहल करनी चाहिए। उनका मानना है कि 1951 से 2011 के बीच हुए जनगणना के दौरान आदिवासियों की संख्या घटी है। दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय की संख्या बढ़ी है। जाहिर है कि आदिवासी की जनसंख्या घटने पर विधानसभा, लोकसभा की सीटों के साथ-साथ नौकरियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। उनका मानना है कि सीट ना घटे, लेकिन जब आबादी ही नहीं रहेगी तो आदिवासी एमएलए कैसे बनेगा। आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है। इसलिए एनआरसी जरुरी है।
बीजेपी इसलिए चाहती है एनाआरसी
ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा को लगता है कि जनसंख्या के आधार पर लोकसभा और विधानसभा की सीटों में बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठ से बढ़ी मुस्लिम आबादी और घटती आदिवासी जनसंख्या के बहाने केंद्र सरकार यहां आदिवासी आरक्षित सीटों की संख्या कम कर देगी और इसका उन्हें राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं अगर परिसीमन के तहत वहां सीटों की संख्या बढ़ती है तो वहां के मतदाता जेएमएम और उनके सहयोगी दलों के ही पक्ष में खड़े नजर आएँगे। भाजपा इसलिए यहां एनआरसी चाहती है ताकि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठयों के नाम वोटर लिस्ट से बाहर हों।(Delimitation in Jharkhand)
क्या है परिसीमन
लोकसभा और राज्य विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करना ही परिसीमन है, जिसका उद्देश्य बदलती जनसंख्या (बढ़े या घटे) का समान प्रतिनिधित्व तय करना होता है. इस प्रक्रिया के कारण लोकसभा में अलग-अलग राज्यों को आवंटित सीटों की संख्या और किसी विधानसभा की कुल सीटों की संख्या में बदलाव भी आ सकता है.
न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखण्ड – बिहार
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