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आखिरकार क्यों बेचैन है झारखंड कांग्रेस

आखिरकार क्यों बेचैन है झारखंड कांग्रेस

2019 में हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड में लगातार हाशिये पर जा रही कांग्रेस का पुनरुत्थान हुआ। मजबूत क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ तालमेल करने के कारण उसके 16 विधायक जीतने में सफल हुए। हेमंत सोरेन की सरकार में राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को सहयोगी नंबर दो का तमगा मिला और मंत्रिमंडल में चार अहम पदों की जिम्मेदारी भी हाथ आई। कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख राज्य सरकार में मंत्री बनाए गए। कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के पास वित्त, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और कृषि सरीखे महत्वपूर्ण विभाग हैं। इसके बावजूद क्या कारण है कि कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी रह-रहकर दिखती है।

हाल ही में झारखंड में कांग्रेस के विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला जो सामने आया है, उसके पीछे कहीं न कहीं कारण विधायकों के अंदर पनप रहे असंतोष और उनकी उपेक्षा ही है। हालांकि बोर्ड निगम गठन के मामले में डॉ. रामेश्वर उरांव का कहना है कि जल्द ही इस पर फैसला होगा। कोविड-19 की वजह से हम इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाए थे। हम अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक कर इस पर जल्द ही फैसला करेंगे।

मंत्रिमंडल समेत महत्वपूर्ण बोर्ड और निगमों पर है नजर 

कांग्रेस आलाकमान और अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार पर दबदबा बनाने के लिए विधायकों ने अलग-अलग दबाव समूह बना रखा है। इनकी शिकायत यह है कि मंत्रिमंडल समेत महत्वपूर्ण बोर्ड और निगमों में इन्हें भागीदारी मिले, लेकिन मंत्रिमंडल में रिक्त पड़े एक पद के साथ ही रिक्त पड़े बोर्ड निगम की कुर्सी पर विधायकों की नजर है। बोर्ड और निगम को लेकर भी सबने अपने-अपने स्तर पर लाबिंग शुरू की है। सबकी नजर मलाइदार बोर्ड-निगमों पर है। पिछले महीने पांच विधायकों ने इसी मांग को लेकर नई दिल्ली में अपने स्तर से मुहिम चलाई। उनकी वापसी के बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। इसमें भरोसा दिलाया गया कि इन मसलों को उचित मंच पर उठाया जाएगा।

इरफ़ान अंसारी ने भी भी खुलकर अपनी असंतुष्टि की है जाहिर

झारखंड विकास मोर्चा छोड़ कांग्रेस में आए बंधु तिर्की और प्रदीप यादव अब उलझन में हैं। फिलहाल उन्हें पार्टी विधायक का दर्जा नहीं मिल सका है और न ही कोई महत्वपूर्ण पद। हालांकि इन दोनों ने भी सोनिया- राहुल से मिल अपनी नाराजगी से अवगत कराया है। वहीं विधायक इरफ़ान अंसारी भी खुलकर अपनी असंतुष्टि जाहिर कर दी है और इस मसले पर आलाकमान से भी दिल्ली जाकर बातचीत की है.

महिला विधायकों का भी है दबाव 

इतना ही नहीं, कांग्रेस की महिला विधायकों का प्रेशर ग्रुप भी हालिया दिनों में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर विरोध में है। बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद के खिलाफ थाने से बालू लदे ट्रैक्टरों को भगाने का आरोप लगा तो अन्य विधायकों ने उनके खिलाफ हुई कार्रवाई पर एकजुटता दिखाई। इसके बाद रामगढ़ की विधायक ममता देवी ने थाने से अवैध कोयला लदे ट्रकों को बगैर केस दर्ज किए छोड़ देने का आरोप मढ़ा। इस प्रकरण पर महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने कई सवाल उठाए।

4 अगस्त को रांची आएंगे आरपीएन सिंह

विधायकों की कई स्तरों पर नाराजगी झेल रहे कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के समक्ष मुश्किल यह है कि इन्हें कैसे मनाएं। सारी गतिविधियों से प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह भी अवगत हैं। झारखंड कांग्रेस में लगातार विधायकों के भीतर पनपते असंतोष को देखते हुए 4 अगस्त को रांची आने की घोषणा की है।

आलमगीर आलम ने इस संबंध में पूर्व ही रिपोर्ट भेज चुके हैं । कांग्रेस नेतृत्व हर हाल में विधायकों की शिकायतों का समाधान करने का प्रयास करेगा।

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