न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
कहीं अवैध खनन की जांच पर लीपापोती तो नहीं कर रहे साहिबगंज डीएसपी? ऐसा शक प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को है। क्यों विजय हांसदा मामले में जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उससे भी ईडी का संदेह और गहरा हो जा रहा है। साहिबगंज डीएसपी जिस विजय हांसदा के हाथों लिखा दस्तावेज बता कर यह कह रहे हैं कि उन्होंने पंकज मिश्रा के खिलाफ केस वापस ले लिया, ऐसा कुछ भी होने से उसी विजय हांसदा ने इनकार किया है। विजय हांसदा ने कोर्ट के जरिये अपनी बात रखी है कि उसने ऐसा कुछ भी नहीं कहा या कोई दस्तावेज लिखा है। हां, एक सादे कागज पर जरूर उससे दस्तखत कराये गये हैं जिसका गलत इस्तेमाल किया गया होगा।
चूंकि विजय हांसदा ईडी के गवाह है, इसलिए ईडी शक जता रहा है कि शायद साहिबगंज के डीएसपी राजेंद्र दुबे पंकज मिश्रा के खिलाफ जांच को विफल करने में प्रयास में शामिल हो सकते हैं।
बता दें, विजय हांसदा ने ही पंकज मिश्रा के खिलाफ अपने मोहल्ले में अवैध खनन करने की शिकायत दर्ज कराई थी। विजय हांसदा के बाद साहिबगंज डीएसपी के निशाने पर हांसदा को सहयोग करने वाले परशुराम कुमार यादव भी हैं। परशुराम को भी पूछताछ के लिए नोटिस देकर उन्होंने बुलाया था। ऐसा इसलिए क्योंकि परशुराम कुमार यादव ने ही विजय हांसदा से जेल में मुलाकात कर अदालत में अपील करने में मदद पहुंचायी थी। यादव के सहयोग से हांसदा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और बताया कि उन्होंने पंकज मिश्रा के खिलाफ अपनी शिकायत कभी वापस नहीं ली। साहिबगंज पुलिस जो दावा कर रही है वह पूरी तरह से झूठा है।
क्लीन चिट का झूठा प्रचार!
कुछ दिनों पूर्व दुमका रेंज के डीआईजी ने प्रेस कांफ्रेंस में विजय हांसदा के हाथ की लिखी चिट्ठी दिखाकर दावा किया था कि उसने अपनी शिकायत वापस ले ली है। इसलिए प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। मगर विजय हांसदा ने अपने सहयोगी सहयोगी परशुराम कुमार यादव की मदद से डीएसपी की पोल खोल दी। स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाकर पुलिस के दावे का खंडन करते हुए कहा कि पुलिस ने सादे कागजों पर उनके हस्ताक्षर लिए थे और उसी का इस्तेमाल जाली दस्तावेजों के रूप में किया गया है।
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